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जान पर भारी पड़ रहा प्रदूषण, लोग परेशान

हाजीपुर : वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बन गयी है. राजधानी दिल्ली जैसे बड़े शहरों के बाद अब छोटे शहरों में भी धीरे-धीरे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. सरकार व प्रशासन इस समस्या से निपटने को लेकर कई स्तरों पर प्रयास कर रही है. सरकार व कोर्ट ने पराली […]

हाजीपुर : वायु प्रदूषण आज पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बन गयी है. राजधानी दिल्ली जैसे बड़े शहरों के बाद अब छोटे शहरों में भी धीरे-धीरे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. सरकार व प्रशासन इस समस्या से निपटने को लेकर कई स्तरों पर प्रयास कर रही है. सरकार व कोर्ट ने पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. पुराने वाहनों को हटाया जा रहा है. वन क्षेत्र के भी दायरे को बढ़ाने के लिए राज्य में जल जीवन हरियाली जैसे अभियान चलाया जा रहा है.

इसके बावजूद प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने में पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पा रही है. इसका एक सबसे बड़ा कारण कूड़ा-कचरा मैनेजमेंट व उसकी डंपिंग की कमी है. सरकार ने सामान्य कूड़ा-कचरा व बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण के सख्त प्रावधान बना रखे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इसकी सिर्फ खानापूर्ति मात्र की जा रही है.
आधुनिकता की अंधी दौड़, भागमभाग वाली जिंदगी, कंक्रीट के जंगलों का बढ़ता दायरा, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, औद्योगिक इकाइयों व वाहनों से निकलने वाले काले धुएं की वजह से वायु प्रदूषण ने आज पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है.
भारत भी इससे अछूता नहीं है. 2018 में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 30 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा के शिकार हैं. सुप्रीम कोर्ट भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर तल्ख टिप्पणी कर चुकी है. इससे निबटने के लिए की जा रही कवायदों के बीच सरकार ने सूबे में 15 वर्ष पुराने सरकारी वाहनों के प्रयोग पर रोक लगा दी है. हाजीपुर जैसे छोटे शहर में भी धीरे-धीरे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.
हवा में जहर घोल रहे वाहनों के काले धुएं
हाजीपुर उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला एक प्रमुख सेंटर हैं. प्रतिदिन हजारों गाड़ियां यहां से गुजरती हैं. सड़कों पर दौड़ती खटारा गाड़ियां व कुछ गाड़ियों में पेट्रोल के साथ मिट्टी तेल के प्रयोग से निकलने वाले काले धुएं भी वातावरण में जहर घोलने का काम कर रहे हैं. बढ़ती जनसंख्या के साथ वाहनों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है.
सरकार भी इस प्रदूषण को रोकने के लिये समय-समय पर कई कदम उठाती है. लेकिन सरकार के प्रावधानों पर सही ढंग से काम नहीं होने की वजह से इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. शहर में कई वाहन जांच केंद्र हैं, लेकिन वहां तक ऐसे वाहन पहुंचते ही नहीं हैं. इसका एक बड़ा कारण ऐसे वाहन चालकों के विरुद्ध कभी कोई बड़ा अभियान न चलाना भी है.
सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा बढ़ता प्रदूषण : डॉ विजय
सदर अस्पताल एसएनसीयू के फिजिशियन व चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार बताते हैं कि वातावरण में बढ़ता प्रदूषण मानव सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. हमारे बीच कई तरह के प्रदूषण फैल रहे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है. धूल और धुआं इसकी बड़ी वजह है. मिलावटी इंधन से वाहन चलाये जाने, शहर में नाले का सिल्ट निकाल कर सड़कों पर रख देने तथा कूड़े-कचरे की सड़ांध के कारण यह प्रदूषण फैल रहा है.
ठंड के मौसम में कुहासा बढ़ने के चलते हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े और सांस संबंधित बीमारी बढ़ रही है. लोगों में एलर्जी, अस्थमा, त्वचा संक्रमण आदि की शिकायतें इसकी वजह से पायी जा रही है.
बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. बच्चों में निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ और दम फूलने की बीमारी प्रदूषण की वजह से बढ़ रही है. इससे बचाव के लिए लोगों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए. मास्क नहीं तो नाक-मुंह को रूमाल से ढक कर सड़क से गुजरना चाहिए, ताकि वाहनों से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड और गीले कचरे के सूखने से बनने वाले विषैले धूल-कणों से बच सकें.
जहां मिली जगह वहीं डंप िकया कूड़ा
कूड़े-कचरे की डंपिंग की बात करें तो जिले में इसकी कहीं भी कोई कारगर व्यवस्था नहीं है. शहरी क्षेत्र से निकलने वाले कूड़े-कचरे को सफाई कर्मचारी जहां जगह मिलती है, वहीं डंप कर देते हैं. कूड़े-कचरे का ढेर लग जाने पर उसमें सफाई कर्मी आग भी लगा देते हैं.
पिछले डेढ़ दशक से हाजीपुर शहरी क्षेत्र से निकलने वाले कूड़े-कचरे के निस्तारण के लिए डंपिंग जोन बनाने की बात चल रही है, लेकिन इसका निर्माण फाइल रेस में अटका हुआ है. नतीजतन कभी हाइवे किनारे तो कभी रिहायशी इलाके की खाली जमीन पर कूड़ा-कचरा डंप कर दिया जाता है.
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से भी बढ़ी समस्या : तेजी से बढ़ती आबादी के बोझ तले दबी धरती पर वन क्षेत्र सिमटता जा रहा है. कंक्रीट का जंगल तेजी से पांव पसार रहा हा. पेड़ों की घटती संख्या से भी वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. इसके अलावा सरकारी-गैर सरकारी भवन व सड़क निर्माण के दौरान भी प्रदूषण से निबटने के लिए कोई कारगर व्यवस्था नहीं की जाती है. यहां से उड़ने वाले धूल कण व धूल के गुबार भी प्रदूषण का बड़ा कारण है.
प्रदूषण रोकने में कारगर हैं पेड़ : पर्यावरणविदों के अनुसार पीपल, बरगद, पाकड़, जामुन, नीम, हरसिंगार, अशोक, अर्जुन, महुआ, कनेर आदि पारंपरिक पेड़ पॉल्यूशन टॉलरेंट होते हैं. इन पौधों को सड़कों के दोनों ओर और रिहाइशी इलाकों में लगाने से ये धूल के महीन कणों (पार्टीकुलेट मैटर) को सोख लेते हैं. ये पौधे वायु को शुद्ध कर वायु प्रदूषण को काफी हद तक रोकते हैं.
फिट रहने को अपनाएं यह रूटीन
प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी हर हाल में पीयें, इससे प्रदूषित तत्व खत्म होंगे
धुंध में मॉर्निंग वॉक से परहेज करें, बाहर निकलें तो मास्क पहने, सांस फूलने या हफनी पर बैठ जायें
इस मौसम में कोल्ड ड्रिंक और ठंडे पानी से परहेज करें, खासकर सांस के रोगी तो इससे दूर रहें
हेलमेट भी प्रदूषण से बचाता है, बाइक चलाने या पीछे बैठने वाला हो दोनों के लिए यह जरूरी है
सादा भोजन लें, गरिष्ठ और तैलीय पदार्थों से बचें, खिलाड़ियों को सलाह है कि वे प्रैक्टिस से बचें अस्थमा और सीओपीडी के मरीज डॉक्टरों से मिलें, उनकी दवा की डोज बढ़ाने की जरूरत हो सकती है

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