सोनपुर : दिल्ली जा रही सीमांचल एक्सप्रेस में अपने-अपने बर्थ पर सो रहे यात्रियों ने यह सोचा नहीं होगा कि रविवार का दिन उनके लिये हादसे का रविवार बन जायेगा. कर्णभेदी धमाकों और जोरदार झटकों ने नींद में सो रहे यात्रियों को झकझोर कर जगा दिया. रविवार सुबह दुर्घटनाग्रस्त हुई इस ट्रेन के यात्रियों ने हादसे के उन खौफनाक मंजर को याद किया. ऐसी ही एक यात्री 40 वर्षीय इमरती देवी बताती हैं कि शनिवार रात किशनगंज में उन्होंने ट्रेन पकड़ी थी, लेकिन वह सौभाग्यशाली रहीं कि हादसे में जीवित बच गयीं और उन्हें कोई चोट नहीं आयी जबकि वह ट्रेन के उस डब्बे में थीं जो पटरी से उतर गयी थी.
उन्होंने बताया, ‘‘ऊपर वाले बर्थ पर सोने के लिये जाने से पहले मैंने बीच वाले बर्थ पर अपनी सास के लिये बिस्तर बिछाया. हमें मालूम था कि आनंद विहार टर्मिनस पहुंचने से पहले हमें कोई 24 घंटे का लंबा सफर तय करना है. इसलिए हम जल्दी ही सो गये.” उन्होंने बताया, ‘‘अचानक मुझे लगा कि मैं धड़ाम से किसी सख्त सतह पर गिर गयी. मेरे कानों में जोरदार धमाके की आवाज गूंज रही थी. मुझे यह समझने में कुछ सेकंड का समय लग गया कि मैं डब्बे के फर्श पर हूं.” उन्होंने बताया कि लोगों ने ट्रेन की खिड़कियों को तोड़ना शुरू कर दिया और उसके बीच से निकलने लगे. इमरती देवी ने बताया, ‘‘एक व्यक्ति ने अंदर मेरी ओर हाथ बढ़ाकर मुझे डब्बे से बाहर निकाला, जहां से वह खुद भी ट्रेन से बाहर निकला था. मैंने देखा कि कोच तिरछी पलटी हुई है. बाहर निकलकर मैंने अपनी सास को पुकारना शुरू किया. मैं जोर-जोर से रो रही थी क्योंकि मुझे अंदेशा था कि हादसे में कहीं उनकी मौत न हो गयी हो.”
इमरती देवी ने बताया, ‘‘करीब डेढ़ घंटे बाद मैंने देखा कि कुछ बचावकर्मी मेरी बजुर्ग सास को सुरक्षित बाहर निकाल रहे हैं क्योंकि वह खुद से ट्रेन से बाहर निकलने में असमर्थ थीं.” उन्होंने बताया कि उनकी सास रामेश्वरी देवी (65) बगल में बैठी थीं और दम साधे ईश्वर से प्रार्थना कर रही थीं. वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग ब्लॉक में रहने वाले बसावन सिंह ने बताया कि शुरू में उन्हें यह गलतफहमी हुई कि यह हादसा नहीं बल्कि बम विस्फोट है. हादसा वैशाली जिले में ही हुआ. उन्होंने बताया, ‘‘जब हमने जोरदार आवाज सुनी तब हम सभी सो रहे थे. शुरू में हमें लगा कि कहीं आस पास बम धमाका हुआ है. मैं और मेरे पड़ोसी लाठी-डंडों के साथ अपने-अपने घरों से निकले और आस-पास का जायजा लिया.”
उन्होंने बताया कि रेल की पटरी कुछ ही दूरी पर थी. हमें तब तक आभास हो गया था वहां ट्रेन फंसी हुई है. लेकिन, उस वक्त घना अंधेरा था और जो कुछ भी हुआ था उसका ठीक-ठीक पता लगाने में हमें कुछ समय लग गया. एक अन्य स्थानीय नागरिक रामेश्वर राय ने बताया, ‘‘सौभाग्य से दुर्घटना स्थल न तो दूर दराज के इलाके में था और न ही वह कम घनी आबादी वाला इलाका था. हमलोग तुरंत पीड़ितों तक पहुंचे. हममें से कुछ के पास गैस कटर थे. सुरक्षा अधिकारी अपने पेशेवर उपकरणों के साथ घटनास्थल पर पहुंचते, इससे पहले हमने गैस कटर का उपयोग शुरू कर दिया.” उन्होंने बताया, ‘‘कुछ लोगों को पास के निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया और एंबुलेंस भी घटनास्थल पर भेजी गयीं.”
हादसे में जीवित बचे लोग और स्थानीय लोग इसे यात्रियों का सौभाग्य बता रहे हैं क्योंकि इसकी गंभीरता को देखते हुए और लोगों के मारे जाने का अंदेशा था. रेलवे और पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 12487 जोगबनी-आनंद विहार सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन के 11 डिब्बों के पटरी से उतर जाने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गयी जबकि 29 अन्य घायल हो गए. पूर्व मध्य रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि दुर्घटना सुबह करीब चार बजे सोनपुर खंड में महनार रोड के समीप सहदेई बुजुर्ग में हुई. उन्होंने बताया कि हादसे में एक जनरल कोच, एसी कोच बी 3, तीन स्लीपर कोच – एस 8, एस 9, एस 10 तथा छह और कोच पटरी से उतर गये. कुमार ने बताया, ‘‘बचाव अभियान जारी है और मौके पर एक दुर्घटना राहत बचाव ट्रेन भेजी जा रही है. एनडीआरएफ की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी है.”
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दुर्घटना में मारे गये लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि, गंभीर रूप से घायलों को एक-एक लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये देने की घोषणा की है.
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