हाजीपुर : बिहार का अतीत जितना गौरवशाली रहा है, इसका वर्तमान उतना ही निराशपूर्ण और भविष्य अंधकार मय दिखता है. बिहार का गौरव हासिल करने के लिए सांस्कृतिक जागरण की जरूरत है. समृद्ध अाध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत की बुनियाद पर खड़े बिहार की जड़ें दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही हैं. बौद्धिक समाज को इसके कारणों […]
हाजीपुर : बिहार का अतीत जितना गौरवशाली रहा है, इसका वर्तमान उतना ही निराशपूर्ण और भविष्य अंधकार मय दिखता है. बिहार का गौरव हासिल करने के लिए सांस्कृतिक जागरण की जरूरत है. समृद्ध अाध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत की बुनियाद पर खड़े बिहार की जड़ें दिन-ब-दिन कमजोर होती जा रही हैं.
बौद्धिक समाज को इसके कारणों की तलाश करनी होगी और नव जागरण का आधार तैयार करना होगा. कैसे हासिल होगा बिहार का गौरव विषय पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं ने यह बातें कही. बिहार के 106वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर द्वारा परिचर्चा शंखला की शुरूआत की गयी. शुक्रवार को पहले दिन उक्त विषय पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक शालिग्राम सिंह अशांत ने की. वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा, समाज व्यवस्था
नवजागरण से ही फिर…
और शासन प्रणाली के मामले में बिहार ने पूरी दुनिया के सामने आदर्श प्रस्तुत किया. आज इन्हीं मामलों में बिहार की बदनामी दुनिया तक फैली है. भ्रष्टाचार, जातीय-मजहबी उन्माद की राजनीति, नैतिकता का लोप आदि को इसका सबसे बड़ा कारण बताया गया. इससे निकल कर स्वाभिमान को जगाने की जरूरत बतायी गयी. कार्यक्रम में शामिल बुद्धिजीवियों ने बिहार की बदतरी पर विस्तार से चर्चा करते हुए राजनीति और नेतृत्व वर्ग को इसका जिम्मेवार ठहराया. यह भी कहा कि नयी पीढ़ी के पास नयी दृष्टि है, जो भरोसा जगाती है कि वह पराभव का अंधकार मिटायेगी. वक्ताओं ने कहा कि नयी पीढ़ी को बिहार के गौरवशाली अतीत और इसकी अध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्ता के बारे में जानकारी देने की जरूरत है. बिहार में शिक्षा के क्षेत्र से ही बदलाव की शुरूआत करने की आवश्यकता बतायी गयी.
शिक्षा व्यवस्था में हो समाज की अहम भागीदारी
परिचर्चा में विचार प्रकट करते हुए वक्ताओं ने सर्वाधिक जोर शिक्षा की बदहाली पर दिया और शिक्षा व्यवस्था में सुधार से ही बिहार के नव निर्माण की यात्रा शुरू करने की आवश्यकता बतायी. हाल के वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की दुनिया भर में हुई बदनामी की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जिस बिहार में विश्व भर के लोग ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने आते थे, आज उसी बिहार के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहां से पलायन कर विदेशों में जाना पड़ रहा है. शिक्षा व्यवस्था को समाज के जिम्मे सौंपने की जरूरत पर बल देते हुए कहा गया कि सरकार द्वारा चलायी जाने वाली शिक्षा व्यवस्था का हश्र तो देख ही रहे हैं.
नकारात्मक राजनीति से हुई बिहार की अवनति : शासन-प्रशासन के मामले में बिहार के स्वर्णिम काल की चर्चा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि राजनीति ने ही बिहार की अवनति की राह खोली. नकारात्मक राजनीति के कारण बिहार का आर्थिंक, सामाजिक विकास भी नकारात्मक दिशा में बढ़ता चला गया. आजादी के बाद से आज तक बिहार के गौरव को बुलंद करने का कोई संजीदा प्रयास नहीं किया गया. नेतृत्व वर्ग को कोसते हुए वक्ताओं ने कहा कि सत्ता और सियासत के फायदे के लिए राजनीतिक दलों और राजनेताओं ने सामाजिक शक्तियों को बांट दिया, जो बिहार के नव निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकती थीं. बिहार का गौरव हासिल करने के लिए नव जागरण पर बल दिया गया.