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थियेटर की अनुमति नहीं दिये जाने पर उठ रहे कई सवाल

सोनपुर : सोनपुर मेले में लगाये गये थियेटरों के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दिये जाने पर नर्तकियों की ओर से मंगलवार को धरना और प्रदर्शन किया जाना कई सवाल खड़े कर रहें है. नर्तकियों का यह आक्रोश शासन और प्रशासन के मेले से जुड़े व्यवस्थापक को मेला के मद्देनजर बनाये गये योजनाओं और नीति-निर्माताओं को […]

सोनपुर : सोनपुर मेले में लगाये गये थियेटरों के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दिये जाने पर नर्तकियों की ओर से मंगलवार को धरना और प्रदर्शन किया जाना कई सवाल खड़े कर रहें है. नर्तकियों का यह आक्रोश शासन और प्रशासन के मेले से जुड़े व्यवस्थापक को मेला के मद्देनजर बनाये गये योजनाओं और नीति-निर्माताओं को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है.
क्या किसी मनोरंजन के साधन को बिना देखे केवल इस बिना पर बंद कर दिया जा सकता है कि इसमें अश्लील प्रदर्शन होगा. अगर प्रशासन के लोगों को ऐसा ही भय था तब मेला लगने के पूर्व ही आधिकारिक घोषणा होनी चाहिए थी कि इस वर्ष मेले में थियेटर नहीं लगेंगे. प्रशासन के लोग थियेटरों का स्ट्रक्चर खड़ा होते देखते रहें. पर्यटन विभाग थियेटर के लिए अपनी जमीन के स्वरूप में जगह बनाकर बताता रहा और उसका एलॉटमेंट भी हुआ.
किंतु उस समय भी जिला प्रशासन के लोग चुप रहें. ऐसा सवाल खड़ा कर रहें हैं थियेटर संचालन से जुड़े लोग. उनलोगों का कहना है कि थियेटर के लिए विद्युत कनेक्शन सरकारी अमला ही दिये. अन्य अनुमति भी सरकार के विभिन्न विभागों से दी गयी. लेकिन अब करोड़ों खर्च के बाद इसे चलने नहीं दिया जा रहा है जो कहां से न्याय संगत है.
रहा है काफी पुराना व ऐतिहासिक रिश्ता : थियेटरों का सोनपुर मेले से काफी पुराना ऐतिहासिक रिश्ता है. नौटंकी की रूपरेखा में अपने कला के सफर पर निकला थियेटर कभी मेले का शान हुआ करता था. भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा से लेकर लोक संस्कृति की झलक इन थियेटरों में मिलती थी. कलाकार भी ऐसे जो न केवल मनोरंजन किया करते थे बल्कि तत्कालीन सामाजिक कुरूतियों पर भी अपने हास्य से प्रहार किया करते थे. एक से बढ़कर एक नाटक कव्वाली, शास्त्रीय संगीत भजन तथा लोक गायन मंच से होती थी. गुलाब बाई, नीलम संध्या, मूनलाइट तथा भारत थियेटर मेले की गौरव गाथा को आगे बढ़ाते रहें.
समय बदला और इनकी जगह नये-नये थियेटर मेले में आते गये. इन थियेटरों के दृश्य भी बदल गये. अश्लील पोस्टर और प्रदर्शन की बात कौन कहे थियटरों में अब देश के विभिन्न क्षेत्रों के सुविख्यात योगेश ठक्कर ऑर्केस्ट्रा, बावला तथा कई अन्य म्यूजिकल ग्रुप से जुड़े उत्कृष्ट कलाकारों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया.
ये कलाकार जब मंच पर गाने उतरते तो इनके गायन और मूल रिकॉर्ड में अंतर मिट जाता. इसके उद्घोषक भी ऐसे जो अपने समय के बीबीसी विनाका प्रस्तोता अमीन सयानी की याद ताजा कर देते. यानी की हूबहू अनुकृति किया करते थे.

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