बरौली : सुबह के 11 बजे है. धूप अपने शबाब पर है़ प्रखंड का हलुआर तिवारी टोला सन्नाटे में डूबा है़ कुछ लोग पेड़ की छाया में बैठे हैं. सड़क के दोनों ओर लोगों के घर दिख रहे हैं, जिसे बाढ़ ने तबाह कर जमींदोज कर दिया है़ लोग गिरी झोंपड़ियों को सीधा कर रहने लायक बना रहे है.
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सांप व बिच्छुओं के बीच गुजर रही रातें
बरौली : सुबह के 11 बजे है. धूप अपने शबाब पर है़ प्रखंड का हलुआर तिवारी टोला सन्नाटे में डूबा है़ कुछ लोग पेड़ की छाया में बैठे हैं. सड़क के दोनों ओर लोगों के घर दिख रहे हैं, जिसे बाढ़ ने तबाह कर जमींदोज कर दिया है़ लोग गिरी झोंपड़ियों को सीधा कर रहने […]
वहीं बियाबान में खंडहर सा एक मकान दिखता है़ पूछने पर लोग बताते हैं कि ये घर स्व रामेश्वर तिवारी की पत्नी मनोरमा कुंवर का है़ आगे जाने पर मनोरमा कुंवर अपनी बेटी के साथ मिलती है. पूछने पर बताती हैं कि बाढ़ ने घर को जैसे खंडहर बना दिया़ एक भी खिड़की दरवाजा घर में नहीं है़ बाढ़ में न लोटा बचा न थाली, बिछावन सहित खाने पीने की सारी वस्तुएं बाढ़ के पानी में बह गयी़ं यहां तक कि जो कपड़े शरीर पर थे, वहीं रह गये. इसके अलावा कुछ भी नहीं बचा़ बाढ़ के दौरान चार-पांच दिन तक भोजन भी नहीं मिला़ राहत बांटने वाले घूम-घूम कर बांटते रहे, लेकिन इस क्षेत्र की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया़ घर में जंगल सा उग आया है,
जिसमें बाढ़ में बह कर आये जहरीले सांप तथा कीड़े-मकोड़े अपना बसेरा बनाये हुए हैं. घर में तो हर कदम पर सांप ही दिखते हैं, ऐसे में घर छोड़ कर जाये भी तो कहां, कौन आसरा देगा? बाढ़ के बाद बिछावन, तो आसपास के लोगों ने दे दिया, कुछ कपड़े भी दे दिये, लेकिन घर कौन देगा, खाने-पीने की व्यवस्था भी पड़ोसी ही चला रहे हैं. ऊपर से बुखार ने जैसे कमर ही तोड़ दी़ पास में एक भी पैसे नहीं है. खेती गल गयी़
हालत तो ये है कि एक-एक दाने को तरसना पड़ रहा है,
बस किसी तरह जिंदगी भूख और फाकाकशी के बीच चल रही है़ ये कहानी एक मनोरमा कुंवर की ही नहीं, बल्कि ऐसे सैकड़ों बाढ़ पीड़ित हैं, जिनके पास न खाने को अन्न है न पहनने को वस्त्र, जिंदगी बस भगवान भरोसे चल रही है़ कुछ ऐसा ही हाल गांव के केशव तिवारी, सुबास तिवारी, जग्गु राम, शिवमोहन मांझी, विंदा मांझी सहित सैकड़ों लोगों का है़ इनके भी घर गिर गये हैं और फसल गल गयी है़ फिलहाल जरूरत है इनके जख्मों पर मरहम लगा कर इनके दर्द को भरने की, ताकि जल्द-से-जल्द से समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें.
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