बिदुपुर : हाजीपुर-महनार रोड के किनारे बारह किलो मीटर क्षेत्र में फैला चेचर ग्राम समूह नवपाषाण काल की सबसे बड़ी बस्तियों में एक थी. पुरातत्व निदेशालय के द्वारा की गयी खुदाई में मिली अवशेषों की जांच के बाद इतिहासकारों ने माना है कि चेचर ग्राम समूह में तेरह कांड खंडों का इतिहास छुपा है. यहां की मिट्टी में नवपाषाण काल से आधुनिक काल तक के अवशेष अंदर दबे पड़े है. रामायण काल में भी यहां महानगर होने के कई प्रमाण मिले है.
इस काल के रेड वेयर जिसका ऊपरी भाग लाल रंग और काले रंग के निचली भाग के कई अवशेष इस काल को प्रामाणिक करता है. हालांकि बाढ़ और कटाव के कारण कई पुरातात्विक स्थल व धरोहर या तो ढ़ह गये अथवा कटाव में गंगा की गोद में विलीन हो गयी. चेचर ग्राम समूह की ऐतिहासिक महत्व की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस क्षेत्र को सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया. इसके बाद राज्य सरकार की पहल पर वर्ष 2013-14 और 2014-15 में दो बार खुदाई करवायी गयी.
लेकिन इसी बीच केन्द्र सरकार का आदेश मिलने का लोचा फंस गया और खुदाई का काम ठप हो गया. चेचर ग्राम समूह की ऐतिहासिक महत्व का उजागर होते ही पुरातात्विक विभाग के डॉ. आर एस विष्ट के नेतृत्व में सबसे पहले 1977 में खुदायी करायी गयी. लगभग 12 वर्ष बाद श्री विष्ट के देखरेख में हुयी. बाद में तीसरी और चौथी खुदायी डॉ. सत्यदेव राय के नेतृत्व में पुरातात्विक विभाग ने कराया. खुदायी से रेड वेयर, ग्रे वेयर,पेटेन्ट ग्रे वेयर,पॉलिशदार बर्तन के टुकड़े, टेराकोटा में मूर्तियां, हेलना की मूर्तियां, हड्डी के औजार, पत्थर के औजार, मनके, ऐरोहेड अवशेष आदि महत्वपूर्ण है.