सुपौल जिला परिवहन पदाधिकारी डॉ संजीव कुमार सज्जन ने जिले के सभी वाहन विक्रेताओं को सख्त निर्देश जारी किया है कि बिना पंजीकरण प्रमाणपत्र (अस्थायी अथवा स्थायी) के कोई भी वाहन न तो बेचा जाए और न ही हस्तांतरित किया जाए. मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 39, 192 एवं 207 के प्रावधानों के तहत ऐसा करना पूर्णतः अवैध और दंडनीय अपराध है. कहा कि परिवहन विभाग को सूचना मिली है कि कुछ विक्रेता बिना पंजीकरण कराए ही वाहन बेच रहे हैं. इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है और साथ ही सड़क सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था की गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो रही है. अधिनियम की धारा 39 के अनुसार बिना पंजीकरण कोई वाहन सार्वजनिक स्थान पर नहीं चल सकता. वहीं, धारा 192 के तहत ऐसा करने पर जुर्माना व कारावास दोनों का प्रावधान है. धारा 207 के अंतर्गत ऐसे वाहनों को जब्त करने का अधिकार परिवहन विभाग व पुलिस को प्राप्त है. डीलरों के लिए सख्त निर्देश डीटीओ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी डीलर द्वारा नियमों का उल्लंघन पाया गया तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी. इसमें मोटरयान अधिनियम की धाराओं के तहत दंड के साथ-साथ डीलरशिप लाइसेंस निरस्त करने की अनुशंसा भी शामिल है. सभी विक्रेताओं को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे लंबित पंजीकरण आवेदनों का शीघ्र निष्पादन सुनिश्चित करें और हर माह की अंतिम तिथि तक लंबित आवेदनों की जानकारी जिला परिवहन कार्यालय को प्रतिवेदन के रूप में उपलब्ध कराएं. जिला परिवहन पदाधिकारी ने आम जनता से भी अपील की है कि वे बिना पंजीकरण वाहन न खरीदें और न ही सड़क पर चलाएं. यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि उनकी और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा है.
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