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ललित बाबू हत्याकांड के कई सवाल आज भी अनसुलझे, बोले संजय झा- हकीकत जानना चाहते हैं मिथिला के लोग

ललित बाबू स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट मंत्री थे, जिनकी हत्या की गई, लेकिन हत्या किसने की, किसने करवाई, यह 48 साल बाद भी पहेली ही है. हालांकि सीबीआई जांच हुई, सुप्रीम कोर्ट में सालों तक सुनवाई चली, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला और कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं.

सुपौल. जल संसाधन सह सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि संजय कुमार झा ने कहा कि ललित बाबू स्वतंत्र भारत के पहले कैबिनेट मंत्री थे, जिनकी हत्या की गई, लेकिन हत्या किसने की, किसने करवाई, यह 48 साल बाद भी पहेली ही है. हालांकि सीबीआई जांच हुई, सुप्रीम कोर्ट में सालों तक सुनवाई चली, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला और कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं. हम सभी मिथिला निवासी ललित बाबू की हत्या की हकीकत जानना चाहते हैं. संजय कुमार झा मंगलवार को पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र की पुण्यतिथि पर उनके पैतृक गांव बलुआ बाजार (सुपौल) स्थित समाधि स्थल पर बिहार सरकार द्वारा आयोजित राजकीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

सही अर्थों में वो मिथिला के नेता थे ललित बाबू 

संजय कुमार झा ने कहा कि ललित बाबू का जन्म भले ही सुपौल जिले में हुआ, लेकिन राजनीतिक जीवन में वे दरभंगा और मधुबनी सहित संपूर्ण मिथिला को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयासरत रहे. सही अर्थों में वो मिथिला के नेता थे. उन्होंने कहा कि ललित बाबू आज भी मिथिलावासियों की स्मृतियों में जिंदा हैं. उनके द्वारा किये गये विकास के कामों की चर्चा उनके जाने के 48 साल बाद भी पूरे मिथिला क्षेत्र में सुनाई देती है. संजय झा ने कहा कि ललित बाबू का मेरे गांव अररिया संग्राम में भी आना-जाना रहा और मेरे परिवार को लोगों के साथ लगाव रहा. ललित बाबू का व्यक्तित्व और कृतित्व हम सब के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बना रहेगा.

विकास के कार्यों को आगे बढ़ाना ही ललित बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि

संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला में विकास के कार्यों को आगे बढ़ाना ही ललित बाबू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उनके द्वारा शुरू की गई पश्चिमी कोसी नहर परियोजना को पूरा करने और मिथिला के विकास के उनके सपनों को साकार करने के लिए तत्परता से प्रयास किये जा रहे हैं. ललित बाबू के सपने विभिन्न कारणों से दशकों बाद भी अधूरे थे. पिछले कुछ वर्षों से जल संसाधन विभाग इसे पूरा करने में तत्परता से जुटा है. संजय कुमार झा ने कहा कि मिथिला में कमला नदी की बाढ़ से स्थायी सुरक्षा के लिए जयनगर में 405 करोड़ रुपये की लागत से बराज बन रहा है और कमला के दोनों तटबंधों को 325 करोड़ रुपये की लागत से ऊंचा तथा सुदृढ़ कर उस पर रोड बन रहा है.


जून तक बन जायेगा वीरपुर में देश का दूसरा फिजिकल मॉडलिंग सेंटर

उन्होंने कहा कि वीरपुर (सुपौल) में देश का दूसरा फिजिकल मॉडलिंग सेंटर बन रहा है, जिससे कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा से संबंधित योजनाओं में और तेजी आएगी. इस साल जून माह तक इसका निर्माण पूरा हो जाएगा. कोसी नदी से जुड़ी योजना बनाने से पहले रीवर स्टडी के लिए अभी पुणे जाना पड़ता है, जिसमें न केवल समय लगता है, बल्कि करोड़ों रुपये खर्च भी होते हैं. उन्होंने कहा कि कोसी नदी के तटबंध पर पिछले वर्षों में कई स्थानों पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य कराया गया है. कोसी की बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए नदी के मार्ग में अवरोध करने वाले रेत के टीलों का सर्वेक्षण करा कर उसे हटाने का काम भी कराया जाएगा.

बिहार का का बुनियादी ढांचा दुरुस्त 

उन्होंने कहा कि अतिमहत्वाकांक्षी कोसी-मेची लिंक परियोजना को आगे बढ़ाने की दिशा में भी जल संसाधन विभाग तत्परता से काम कर रहा है. इसके लिए डीपीआर बनाने का काम शुरू हो गया है. इससे कोसी नदी की बाढ़ से सुरक्षा के साथ-साथ सीमांचल के चार जिलों में कोसी के पानी को सिंचाई के रूप में उपयोग किया जाएगा. संजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 17 वर्षों में मिथिला सहित पूरे बिहार में जिस रफ्तार से गांव-गांव तक सड़क और बिजली पहुंची है, वह ऐतिहासिक है. अब राज्य का बुनियादी ढांचा दुरुस्त हो चुका है तो बिहार विकास की एक नई छलांग लगाने के लिए तैयार है.

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