सुपौल. जिले में मंगलवार को मिथिला के महान पर्व जुड़शीतल पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. जिसमें महिलाओं ने अहले सुबह उठकर अपने बच्चों को पानी से माथा को स्पर्श कर जुड़ा कर युग-युग तक जीने का आशीर्वाद दिया. जिसके बाद लोग पूजा अर्चना कर बड़ी-भात के साथ स्वादिष्ट व्यंजन का लुत्फ उठाया. कहा जाता है कि मिथिलांचल के खास पर्व जुड़ शीतल के कई मायने हैं. जिसमें घर की महिलाएं बासी भात से पूजा अर्चना करती है और अग्नि देवता को बासी भात समेत अनेक प्रकार के व्यंजन चढ़ाती है. इसके अलावे उक्त पर्व में सहजन व आम की टिकोला की चटनी की खास परंपरा है. जबकि उक्त पर्व को पर्यावरण से जुड़ा है. जिसमे लोग सड़क-बाट पर पर पानी डालते हैं. इसके अलावे पेड़ पौधों में पानी डालकर हरे पेड़ पौधे को जुड़ाता है. मालूम हो कि जुड़ शीतल पर्व नेपाल सहित मिथिलांचल में मनाया जाता है. इसे मिथिला का नव वर्ष भी कहा जाता है. जानकार बताते हैं कि जुड़ शीतल केवल एक पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरण के साथ जुड़ने और जीवन में संतुलन बनाए रखने की सांस्कृतिक परंपरा है, जो आधुनिक समय में भी बेहद प्रासंगिक है. पर्व के दिन घर के बड़े-बुजुर्ग छोटे सदस्यों के सिर पर चुल्लू भर पानी डालकर ‘जुड़ायल रहु’ का आशीर्वाद देते हैं. यह जल सिर पर डालने की परंपरा सिर्फ एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि भीषण गर्मी में शारीरिक शीतलता प्रदान करने का प्रतीक भी है. सुबह होते ही लोग पेड़-पौधों की जड़ों में पानी डालते हैं और उनके आसपास सफाई करते हैं. इससे न सिर्फ पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि भावी पीढ़ी को प्रकृति से जुड़ने की प्रेरणा भी मिलती है. जानकार बताते हैं कि इस दिन पितरों की स्मृति में समाधि स्थलों पर छिद्रयुक्त मिट्टी के पात्र से जल अर्पित करने की परंपरा है, जिससे लगातार जल प्रवाह बना रहता है.
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