प्रतापगंज. प्रतापगंज बाजार और बस स्टैंड क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की कमी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गई है. जहां एक ओर सरकार हर स्तर पर विकास के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रतापगंज बाजार में शौचालय, यूरिनल, साफ पानी और रोशनी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव अब भी जस का तस बना हुआ है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बाजार और हाट में प्रतिदिन सैकड़ों लोग खरीदारी और अन्य आवश्यक कार्यों के लिए आते हैं, लेकिन यहां शौचालय की सुविधा न होने से आमजन को भारी कठिनाई झेलनी पड़ती है. खासकर महिलाओं को बस स्टैंड और हाट क्षेत्र में शौचालय या यूरिनल के अभाव में अत्यंत असुविधा होती है. पटना, दिल्ली और अन्य शहरों से आने-जाने वाले यात्रियों को बस से उतरने के बाद स्वच्छ शौचालय की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता है. बस स्टैंड की स्थिति तो और भी दयनीय है. यहां यात्रियों के लिए न तो शेड की व्यवस्था है, न पीने के पानी की, और न ही रात में पर्याप्त रोशनी की. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब बस से महिलाएं उतरती हैं तो वे सुरक्षित स्थान खोजने के लिए परेशान दिखती हैं, जिससे असहज स्थितियां बन जाती हैं. लोगों ने बताया कि प्रशासन की ओर से समय-समय पर विकास योजनाओं की घोषणाएं तो होती हैं, लेकिन बाजार, हाट और सार्वजनिक स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी अभी भी गंभीर समस्या बनी हुई है. यह विडंबना है कि प्रतिदिन हजारों लोगों की आवाजाही वाले इस प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र में शौचालय जैसी आवश्यक सुविधा भी पर्याप्त नहीं है. स्थानीय नागरिकों ने यह भी बताया कि प्रखंड द्वारा लाखों की लागत से प्रतापगंज हाट में एक शौचालय का निर्माण तो कराया गया था, लेकिन रखरखाव के अभाव में वह अब उपयोग के लायक नहीं रह गया है. शौचालय के अंदर-बाहर गंदगी का अंबार लगा है, जिससे लोग उसका उपयोग करने से कतराते हैं. कई सरकारी कार्यालय परिसरों में भी शौचालय तो बने हैं, लेकिन उनकी साफ-सफाई और देखभाल नहीं होने से वे बंद पड़े हैं या उपयोग योग्य नहीं हैं. लोगों ने जिला प्रशासन और स्थानीय प्रतिनिधियों से मांग की है कि प्रतापगंज बाजार, हाट और बस स्टैंड में शीघ्र ही शौचालय, यूरिनल, स्वच्छ पानी, यात्री शेड और रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कहा कि ये सुविधाएं न केवल यात्रियों की बुनियादी जरूरत हैं, बल्कि यह आमजन का मौलिक अधिकार भी है, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की है.
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