– नवंबर के पहले सप्ताह के साथ सुबह व शाम पारा में गिरावट दर्ज होना हुआ शुरू – ओपीडी में सर्दी, जुकाम, बुखार और सांस संबंधी मरीजों की लगने लगी लंबी कतार – 28 डिग्री अधिकतम व 18 डिग्री न्यूनतम तापमान बुधवार को किया गया रिकॉर्ड – ठंड के दस्तक देने के साथ बाजार में गर्म कपड़ों की बढ़ी डिमांड सुपौल. जिले में मौसम ने करवट बदलना शुरू कर दिया है. नवंबर के पहले सप्ताह के साथ ही सुबह और शाम के तापमान में गिरावट दर्ज होना शुरू हो चुका है. जिले में हल्की धूप और घना कोहरा अब रोजाना का नजारा बन गया है. मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में ठंड का असर धीरे-धीरे बढ़ने की संभावना है, जबकि अचानक बदलते मौसम का असर लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है. सदर अस्पताल सहित शहर के निजी क्लीनिकों में सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार और सांस संबंधी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी है, जिससे ओपीडी में सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिल रही है. वहीं सर्दी, जुकाम, बुखार, गले में खराश, निमोनिया और सांस लेने में परेशानी जैसी शिकायतों के साथ मरीज सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार मौसम के इस बदलाव से सबसे ज्यादा छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. बच्चों में खांसी, बुखार, गले में दर्द और उल्टी-दस्त के मामले बढ़ें हैं तो बुजुर्गों में सांस संबंधी बीमारियां और जोड़ों के दर्द की समस्या पाई जा रही है. इनके लिए सदर अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा हर दिन मरीजों को उचित सलाह के साथ दवा दी जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि मौसम के अचानक ठंडा होने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है. खासकर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग जल्दी संक्रमण की चपेट में आते हैं. माता-पिता को अपने बच्चों को सुबह जल्दी बाहर भेजने से परहेज करना चाहिए. साथ ही उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं. बच्चों को ठंडा पानी और बासी खाना नहीं दें. संक्रमण से बचने के लिए हाथ धोने और सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देना भी आवश्यक है. उधर, मौसम में ठंडक बढ़ते ही बाजारों में गर्म कपड़ों की मांग भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी है. ऊनी स्वेटर, जैकेट, मफलर, टोपी और रजाई-गद्दी की बड़ी खेप से शहर के कई दुकानें सजने लगे हैं, जबकि कई दुकानें ग्राहकों की आवाजाही से गुलजार होने लगा है. एक व्यापारी के मुताबिक पिछले साल की तुलना में इस बार ठंड जल्द शुरू हो गई है. इस वजह से लोग अब पहले से तैयारी करना शुरू कर दिया है. उधर, मौसम विभाग ने चेतावनी देते हुए जानकारी दी है कि अगले सप्ताह ठंड का असर और तेज हो सकता है. न्यूनतम तापमान में गिरावट के साथ ही सुबह के समय कोहरा और घना हो सकता है. ऐसे में जिलेवासियों को पूरी तैयारी के साथ सतर्क रहने की सलाह दी गई है. हालांकि बुधवार को जिले का अधिकतम तापमान 28 डिग्री और न्यूनतम तापमान 18 डिग्री दर्ज किया गया. सड़क किनारे भी सज गई है गर्म कपड़ों की दुकानें ठंड का असर शुरू होते ही शहर में सड़क किनारे भी गर्म कपड़ों की दुकानें सज गई है. शहर के गांधी मैदान, स्टेशन चौक, महावीर चौक, थाना चौक के पास सड़क किनारे ऊनी कपड़ों की दुकानें सज चुकी हैं. इन दुकानों पर रंग-बिरंगे जैकेट, स्वेटर, कंबल, मफलर, टोपी और शॉल से बाजार की रौनक बढ़ गई है. दुकानदारों के चेहरों पर भी ग्राहकों की बढ़ती भीड़ से मुस्कान लौट आई है. महिलाएं बच्चों के लिए स्वेटर और ऊनी टोपी खरीद रही हैं, वहीं पुरुष खुद के लिए जैकेट और मफलर खरीद रहे हैं. बाजार में हर तबके के लिए विकल्प मौजूद हैं. कहीं सस्ते और स्थानीय स्तर पर बने ऊनी कपड़े तो कहीं ब्रांडेड कंपनियों के आकर्षक डिजाइन वाले जैकेट और कोट मौजूद है. मुख्यालय के बड़े मॉल, मार्ट और कपड़ा दुकानों में भी नया विंटर कलेक्शन पहुंच चुका है. युवाओं और युवतियों की पसंद को देखते हुए कंपनियां आधुनिक डिजाइन और ट्रेंडी स्टाइल वाले जैकेट, हुडी, शॉल और जूते बाजार में उतार रही हैं. दुकानदारों का कहना है कि अब लोग केवल गर्माहट नहीं बल्कि फैशन का भी ध्यान रख रहे हैं. शहर के एक कपड़ा व्यापारी बताते हैं इस बार लोग खास तौर पर डिजाइनर ऊनी कपड़ों को पसंद कर रहे हैं. युवा ग्राहक ऐसे कपड़े चाहते हैं जो गर्म तो हो ही, लेकिन देखने में भी स्टाइलिश लगें. जैकेट, स्वेटशर्ट और ट्रेंडी मफलर की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है. बाहरी राज्यों के व्यापारी पहुंचे सुपौल सर्दी के आगमन के साथ ही बाजार अब दूसरे राज्यों के व्यापारियों से भी गुलजार होने लगा है. उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से आए व्यापारी यहां अपने ऊनी उत्पादों की बिक्री कर रहे हैं. गांधी मैदान के समीप मुरादाबाद से आए व्यापारी बताते हैं कोविड काल के दौरान दो साल तक व्यापार पर बहुत असर पड़ा था. पिछले दो साल से फिर से बाजार पटरी पर लौट आया है. सुपौल में ग्राहकों का रिस्पॉन्स अच्छा मिल रहा है. हमारे पास ऊनी कंबल, रजाई, गद्दे और तकिए की अच्छी रेंज है. फरवरी तक यहां रहकर बिक्री करेंगे. इन बाहरी व्यापारियों के आने से ना केवल स्थानीय बाजार की रौनक बढ़ी है, बल्कि लोगों को अधिक विकल्प भी मिले हैं. अलग-अलग राज्यों से आए उत्पादों में डिजाइन और क्वालिटी का अच्छा मिश्रण देखने को मिल रहा है. बाजारों में हर बजट के हिसाब से कपड़े उपलब्ध हैं. सस्ते स्वेटर 250 से 400 रुपये तक मिल रहे हैं, वहीं ब्रांडेड जैकेट्स की कीमत 1500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक है. मफलर, टोपी और दस्ताने जैसे छोटे ऊनी उत्पाद भी ग्राहकों को खूब आकर्षित कर रहे हैं. रेडिमेड ऊनी कपड़ों ने जहां पारंपरिक हस्तनिर्मित ऊन बुनाई की परंपरा को पीछे छोड़ दिया है, वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने ग्राहकों को घर बैठे खरीदारी की सुविधा दी है. युवाओं में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ़ा है. पारंपरिक ऊन बुनाई की परंपरा हुई कमजोर एक समय था जब सर्दी की शुरुआत होते ही घर-घर में दादी-नानी के हाथों से ऊन बुनने का सिलसिला शुरू हो जाता था. महिलाएं अपने परिवार के लिए स्वेटर, मोजे और मफलर तैयार करती थीं. लेकिन अब यह परंपरा लगभग खत्म होती जा रही है. मशीन से बने रेडीमेड कपड़ों की भरमार और सस्ते दामों ने इस पारंपरिक कला को पीछे छोड़ दिया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

