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शराबबंदी पर भारी पड़ रहा तस्करों का नेटवर्क

शराबबंदी के बाद तस्करों पर नकेल कसने के तमाम प्रशासनिक दावों के बावजूद विभागीय आंकड़े बता रहे हैं कि इसका खेल निरंतर जारी है.लग्जरी कार से लेकर मालवाहक वाहनों पर लाद कर ये शराब राज्य के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाये जा रहे हैं.जिसको लेकर पूरा रैकेट सक्रिय है

प्रतिनिधि,सीवान. शराबबंदी के बाद तस्करों पर नकेल कसने के तमाम प्रशासनिक दावों के बावजूद विभागीय आंकड़े बता रहे हैं कि इसका खेल निरंतर जारी है.लग्जरी कार से लेकर मालवाहक वाहनों पर लाद कर ये शराब राज्य के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाये जा रहे हैं.जिसको लेकर पूरा रैकेट सक्रिय है बरामद शराब के आंकड़े ही बता रहे हैं कि सर्वाधिक शराब की खपत हरियाणा निर्मित उत्पाद की है.हर शाम शराब के छलक रहे जाम में अधिकांश हिस्सा हरियाणा व इसके बाद पंजाब तथा राजस्थान निर्मित शराब का है. एक करोड़ से अधिक की एक दिन में बरामद की गयी शराब मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सीवान मैरवा मुख्यमार्ग स्थित सुता फैक्ट्री के समीप मधनिषेध इकाई पटना और स्थानीय पुलिस के संयुक्त छापेमारी में 12 जुलाई की सुबह एक ट्रक से शराब बरामद की दो शराब तस्करों की गिरफ्तारी भी की. ट्रक में रद्दी पेपर के अंदर छुपा कर शराब लाई जा रही थी. ट्रक से 650 कार्टून अंग्रेजी शराब बरामद की गई.जिसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ से अधिक की आंकी गयी थी.यह राजस्थान से लायी जा रही थी. इसके पूर्व 8 जुलाई को हुसैनगंज थाना क्षेत्र के छपिया बुजुर्ग गांव में गौतम यादव के भूसा घर से 164 पैकेट देसी शराब बरामद की गई.नौ जुलाई को हुसैनगंज में हथौड़ा-धनखड़ मार्ग के पुलिया के पास 7 कार्टन देसी शराब, कुल 63 लीटर, बरामद की गई.ये सभी शराब हरियाणा से लाये जा रहे थे. ऐसे में पांच दिनों के अंदर 6 हजार लीटर से अधिक शराब जिले में विभिन्न स्थानों से बरामद किये गये. जिसकी कीमत दो करोड़ रुपये से अधिक की रही.इसके अलावा 12 जुलाई को ही पूर्व में जब्त किये गये 15,543 लीटर शराब नष्ट की गई, जिसकी कीमत 1 करोड़ रुपये से अधिक थी. यूपी की तुलना में हरियाणा व राजस्थान की सस्ती है शराब आंकड़ों के मुताबिक छोटे तस्कर यूपी से शराब लाकर जिले में खपाते रहे हैं, पर बड़े पैमाने पर शराब की खेप हरियाण व राजस्थान से ही लाये जाते हैं.इसके पीछे कहा जा रहा है कि कीमत मायने रखते हैं.सस्ती शराब खपाने में मुनाफा अधिक मिलता है.राजस्थान व हरियाणा की तूलना में यूपी की शराब महंगी है.यूपी में 2025-26 की नई आबकारी नीति के अनुसार, शराब की कीमतों में 10% की बढ़ोतरी की गई है. यहां देसी शराब 200 एमएल पव्वा (36% तीव्रता) की कीमत 70 रुपये, 200 एमएल टेट्रा पैक (42.8% तीव्रता) की कीमत 90 रुपये तथा विदेशी शराब क्वार्टर (180 ML) की कीमत में 15-25 रुपये की वृद्धि हुई है.प्रीमियम ब्रांड्स की बोतलें (750 एमएल) 900 रुपये से शुरू होकर हजारों रुपये तक है. बीयर कैन (500 एमएल) की कीमत में 10-20 रुपये की बढ़ोतरी व ब्रांड्स जैसे कार्ल्सबर्ग, टूबर्ग, किंगफिशर की कीमत 70-190 रुपये है. उधर राजस्थान में शराब की कीमतें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुछ की कीमतें लगभग 5% बढ़ी हैं, जबकि कुछ में कमी भी की गई है.बीयर 175 रुपये व प्रीमियम शराब की बोतल की कीमत 1035 रुपये तक है. एक खास बात यह है कि अप्रैल 2016 से मार्च 2025 तक बिहार में कुल 3.86 करोड़ लीटर शराब बरामद की गई, जिसमें 2.10 करोड़ लीटर विदेशी शराब (ज्यादातर हरियाणा निर्मित) और 1.76 करोड़ लीटर देसी शराब शामिल है.इसी हिसाब से जिले में भी शराब बरामदगी का औसत रहा है.यूपी से सीमा सटे होने के कारण यह आंकड़ा अन्य जिलों से अधिक रहता है. उत्पाद अधीक्षक शशांक कुमार कहते हैं कि सस्ते दर व पुलिस से बचने के लिए तस्कर दूर से शराब लाते हैं.करीब से शराब लोड करने पर आमतौर पर मुखबीर से जानकारी मिल जाती है.जबकि दूर से आनेवाले शराब की भनक कम लगती है.इसके अलावा यूपी की तूलना में हरियाणा की शराब के दाम कम होना भी एक प्रमुख कारण है.

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