प्रतिनिधि, सीवान. नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम करने और जीवन के पहले 28 दिनों में शिशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार से 21 नवंबर तक नेशनल न्यूबॉर्न वीक मना रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने इस अभियान के सफल संचालन हेतु सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा भी इसी सप्ताह नवजात सुरक्षा पर विशेष जागरूकता गतिविधियां चलाई जा रही हैं.नेशनल न्यूबॉर्न वीक का मुख्य उद्देश्य माताओं और परिवारों को नवजात शिशुओं की सुरक्षित देखभाल के प्रति जागरूक करना है. इस वर्ष न्यूबॉर्न वीक की थीम नवजात सुरक्षा हर स्पर्श सुरक्षित, हर बार, हर शिशु के लिए” निर्धारित की गई है. क्यों जरूरी है नवजात सुरक्षा नवजात अवस्था यानी जन्म के बाद के पहले 28 दिन बच्चे के जीवन का सबसे संवेदनशील समय माना जाता है. इस अवधि में संक्रमण, शरीर का तापमान असंतुलन, समय से पहले जन्म, स्तनपान में कमी और सांस संबंधी समस्याओं का जोखिम अधिक होता है. इसलिए यह सप्ताह परिवारों को सुरक्षित नवजात देखभाल की सही जानकारी देने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है. लक्ष्य, नवजात मृत्यु दर में कमी एसआरएस-2023 के अनुसार प्रदेश की वर्तमान नवजात मृत्यु दर 18 प्रति 1000 जीवित जन्म है. इसे 2030 तक 12 प्रति 1000 तक लाना है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग और जिला स्वास्थ्य इकाइयों द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. जिले में कार्यरत सहयोगी संस्थाओं को भी इस अभियान में शामिल किया जा रहा है ताकि गतिविधियां सुचारू रूप से पूरी की जा सकें. जच्चा-बच्चा के लिए विशेष अभियान अभियान को सफल बनाने में आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका तय की गई है.ये कार्यकर्ता नवजात शिशु के जन्म के बाद घर-घर जाकर शिशु का तापमान, वजन, स्तनपान की स्थिति, संक्रमण के लक्षण और जच्चा की सेहत की जांच करेंगी.किसी भी लक्षण या जोखिम की स्थिति में वे परिवार को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र जाने की सलाह देंगी.
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