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विरासत को बचाये रखने में संस्कृत की महती भूमिका

संस्कृत शिक्षा के उत्थान एवं प्रचार प्रसार हेतु जिले के संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों से विचार विमर्श के लिए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा 20 सितंबर को सीवान पहुंचे. जहां संस्कृत वाङ्गमय से जुड़े हुए शिक्षा के केंद्र दयानंद आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज सभागार में उपस्थित संस्कृत शिक्षकों को उन्होंने संबोधित किया तथा उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम बिहार की संस्कृत शिक्षा को संपूर्ण देश के लिए एक मिसाल बनाने की दिशा में कार्य करने हेतु अग्रसर हैं. जिसमें आप सभी का भी हर कदम पर सहयोग अपेक्षित है.

सीवान. संस्कृत शिक्षा के उत्थान एवं प्रचार प्रसार हेतु जिले के संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों से विचार विमर्श के लिए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा 20 सितंबर को सीवान पहुंचे. जहां संस्कृत वाङ्गमय से जुड़े हुए शिक्षा के केंद्र दयानंद आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज सभागार में उपस्थित संस्कृत शिक्षकों को उन्होंने संबोधित किया तथा उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम बिहार की संस्कृत शिक्षा को संपूर्ण देश के लिए एक मिसाल बनाने की दिशा में कार्य करने हेतु अग्रसर हैं. जिसमें आप सभी का भी हर कदम पर सहयोग अपेक्षित है. डॉ झा ने कहा सभी के प्रयास से ज़ब संस्कृत शिक्षा विस्तारित हो जाएगी तो आप सभी की सब समस्याएं आपने आप समाप्त हो जाएंगी और इस क्षेत्र में हम पूरे देश को एक दिशा देने का कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष पद ग्रहण करते ही सूबे के जिलों का दौरा कर संस्कृत शिक्षण की वर्तमान दशा एवं दिशा पर विचार विमर्श कर संस्कृति एवं संस्कृत शिक्षा की बेहतरी के लिए अनेक परामर्श लिए हैं और ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम पुराने माध्यम के पाठ्यक्रम को वर्तमान परिपेक्ष्य में अधिक जन उपयोगी बनाने तथा शिक्षा नीति के अनुरूप लाने हेतु नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है तथा सामान्य सरकारी विद्यालयों की भांति विद्यालयों तथा छात्रों को सुविधा प्रदान करने हेतु उच्च स्तर पर प्रयास किया जा है. कई विद्यालयों को मॉडल विद्यालय बनाने का प्रयास किया जा रहा है. कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के परामर्शदाता प्रो प्रजापति त्रिपाठी ने किया तथा सारस्वत अतिथि रविंद्र पाठक एवं विशिष्ट अतिथि प्रो श्रीपति त्रिपाठी रहे. सारस्वत अतिथि डॉ रविन्द्र पाठक ने बिहार की गौरवमयी शिक्षण का उल्लेख करते हुए वर्तमान की दुर्दशा का भी उल्लेख किया एवं वर्तमान अध्यक्ष से यह अपेक्षा रखा कि आपके प्रयासों को देखकर लग रहा है कि पुनः बिहार के संस्कृत शिक्षा का वह गौरवमयी अतीत अवश्य हीं वापस स्थापित होगा. अतिथि डॉ श्रीपति त्रिपाठी ने स्वयं द्वारा निर्मित किया गया सम्मान पत्र का संस्कृत में वाचन किया तथा कहा कि बिहार के इतिहास में यह पहली घटना है कि बोर्ड के अध्यक्ष प्रत्येक क्षेत्र का लगातार दौरा कर संस्कृत शिक्षा की समस्याओं से रूबरू होकर उनके समाधान की दिशा में प्रयास कर रहे हैं. दयानंद आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुधांशु शेखर त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया. मंच संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ अंकेश कुमार मिश्रा ने किया. कार्यक्रम में पूरे जिले के संस्कृत महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक एवं आयुर्वेद महाविद्यालय के सभी शिक्षक, चिकित्सक एवं छात्र – छात्राएं उपस्थित रहे. मौके पर भाजपा केे पूर्व जिलाध्यक्ष संजय पांडे सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे.

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