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जिले में एक लाख हेक्टेयर में होगी धान की खेती

धान की नर्सरी की तैयारी के लिए रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र महत्वपूर्ण माना जाता है. किसान खेती की तैयारी में जुट गए है. जेठ महीना अंतिम चरण में है. रविवार से मृगशिरा नक्षत्र शुरू हो गया. गुरुवार से आषाढ़ महीने का भी शुरूआत होगी. ऐसे में कृषि कार्य शुरू करने का समय आते ही किसान धान की नर्सरी लगाने में जुट गये हैं.

प्रतिनिधि, सीवान. धान की नर्सरी की तैयारी के लिए रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र महत्वपूर्ण माना जाता है. किसान खेती की तैयारी में जुट गए है. जेठ महीना अंतिम चरण में है. रविवार से मृगशिरा नक्षत्र शुरू हो गया. गुरुवार से आषाढ़ महीने का भी शुरूआत होगी. ऐसे में कृषि कार्य शुरू करने का समय आते ही किसान धान की नर्सरी लगाने में जुट गये हैं. कृषि विभाग ने धान की खेती के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. इस साल जिला में एक लाख 774 हेक्टेयर में धान की खेती की जायेगी. इसके लिए धान का नर्सरी लगाने के लिए कृषि विभाग ने 10077.40 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया है. रोहिणी नक्षत्र बीत गया है. लेकिन बारिश की स्थिति संतोषजनक नही है. जिसके चलते धान की नर्सरी लगाने की रफ्तार धीमी है. धान का विचड़ा डालने में किसानों को बोरिंग का सहारा लेना पड़ रहा है. नहरों में पानी नहीं है. जबकि रोहिणी नक्षत्र से खेतों में धान का बिचड़ा डालने का सिलसिला प्रारंभ ही जाता है. नर्सरी लगाने का सिलसिला आद्रा नक्षत्र तक चलता है. जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक 486.84 हेक्टेयर में धान की नर्सरी किसानों द्वारा लगायी गयी है. जो नर्सरी लगाने के लक्ष्य के विरुद्ध 4.83 फीसदी है. वहीं लंबी अवधि की वेराइटी के धान का बिचड़ा गिराने का उपयुक्त समय बीत रहा है. सूर्य की तीखी किरणें धरती को तपा रही है. आसमान से अंगारे बरस रहे हैं. जलस्त्रोत सूख गये हैं. बोरिंग का भी जलस्तर खिसक कर पाताल में चला गया है. ऐसे मौसम में कृषि कार्य संभव नहीं प्रतीत हो रहा है. इसके बावजूद किसान नर्सरी लगाने की तैयारी में जुटे हैं. हालांकि पिछले कुछ दिनों से कभी-कभी बारिश होने से किसानों का मनोबल बढ़ा है. इक्के-दुक्के साधन संपन्न किसानों ने बोरिंग के सहारे बिचड़ा गिराया भी है. विभिन्न प्रखंडों में खरीफ महाभियान के तहत किसानों को उन्नत खेती की गुर बताये गये हैं. 10077.40 हेक्टेयर में लगायी जाएगी नर्सरी जिला कृषि पदाधिकारी डॉ. आलोक कुमार ने बताया कि इस बार 19 प्रखंडों में 10077.40 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा लगाया जाना है. खरीफ मौसम में विभिन्न फसलों की उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को आधुनिक तकनीक से खेती करने की सलाह दी गयी है. प्रखंड स्तर पर खरीफ महाभियान का आयोजन किया गया है. पंचायत स्तर पर चौपाल लगाकर किसानों को जीरो टिलेज, सीड ड्रिल व पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की खेती करने की तरीके बताये गये हैं. मौसम परिवर्तन के परिपेक्ष में धान की सीधी बुआई, विभिन्न खरीफ फसलों की वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने, जैविक खेती, कृषि यांत्रिकीकरण, केसीसी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है. अधिकांश हिस्सों में परंपरागत विधि से की जाती है धान की खेती जिला के अधिकांश किसान धान की परंपरागत खेती करते है.इसके लिए धान का बिचड़ा तैयार करना पड़ता है.इसके बाद तैयार पौधों की रोपाई की जाती है. हालांकि कृषि विभाग द्वारा खेती की लागत कम करने को लेकर धान की सीधी बोआई को लेकर भी लोगों को जागरूक और प्रशिक्षित किया जा रहा है. परंपरागत तरीके से धान की रोपाई के लिए आमतौर पर बरसात का किसान इंतजार करते है. इस बार श्रीविधि से धान की खेती पर जोर दिया जा रहा है.कृषि विभाग का मानना है कि जिला का मौसम परिवर्तित हो रहा है.मॉनसून की सक्रियता भी हर प्रखंड में सामान्य नही रहता है.ऐसे में किसानों को धान की अच्छी पैदावार के लिए तकनीकी आधारित खेती करनी चाहिए. इससे कम लागत में अच्छी पैदावार की संभावना है.

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