गुठनी. प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को नीलगाय के आतंक से जूझना पड़ रहा है. झुंडों में आकर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ठंड के कारण किसान रखवाली करने में अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं. प्रखंड मुख्यालय के मैरीटार, पाण्डेयपार, भरौली, बरपलिया, जतौर, बहेलिया, चिताखाल, तेनुआ, सेमाटार समेत करीब दर्जनों गांवों में नील गायों के झुंड खेती में खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. फसलों को पनपने नहीं देते हैं. रात-दिन रखवाली के बावजूद पशु मेहनत से तैयार फसलों को नष्ट कर रहे हैं. इन्हें काबू करने लिए वन विभाग और कृषि विभाग आगे नहीं आ रहा है. किसान शिवजी दीक्षित, बैकुंठ दुबे, उदय प्रताप सिंह, प्रभात सिंह, रामजी सिंह, भुनेश्वर यादव, डब्लू सिंह ने बताया कि खेतों में गेहूं, हरी सब्जी नीलगाय के द्वारा प्रतिदिन नष्ट की जा रही है. एक साथ 10 से 15 नीलगाय खेतों में प्रवेश करते हैं, जिस खेत में झुंड जाता है उस खेत की फसल को चरने के अलावे बर्बाद भी कर दे रहे हैं. भगाने के लिए कई बार प्रयास किया जाता है, लेकिन अगले दिन वे पुनः लौट आते हैं. नील गायों के मारने पर प्रतिबंध होने के चलते इनकी संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. वहीं किसानों को खरीफ सीजन में बोई जाने वाली मक्का, मूंग ,अरहर और रबी सीजन में बोई जाने वाली चना, मटर, आलू और सब्जियों की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने लगे हैं, जिसके चलते किसान अब महंगी फसलों की खेती को छोड़ने भी लगे हैं. महंगी फसलों की खेती छोड़ रहे हैं किसान प्रखंड मुख्यालय के खाप जतौर गांव के रहने वाले किसान शिवजी दीक्षित ने बताया की नीलगाय और जंगली सूअर के आतंक इतना बढ़ चुका हैं जिसके चलते खरीफ सीजन में मूंग, अरहर और मक्के की खेती करना उनके गांव के ज्यादातर किसानों ने छोड़ दिया है. अब केवल किसान धान, गेहूं जैसी फसल की ही खेती कर रहे हैं. वहीं, दूसरे किसान समरजीत सिंह ने बताया कि पहले नीलगाय और जंगली सूअर की संख्या बहुत कम थी जिसके चलते हुए लोग अपने खेतों में सब तरह की फसलों की खेती करते थे, लेकिन इन दिनों इनके आतंक के चलते अब वे केवल गिनी चुनी फसलों की खेती कर रहे हैं . इस समस्या के चलते फसल का दायरा भी प्रभावित होने लगा है. खरीफ सीजन में सबसे ज्यादा दलहन की खेती होती है, लेकिन अब इसकी खेती के क्षेत्रफल में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है. यही हाल रबी फसल चना और मटर की खेती का भी है. इन फसलों को भी नीलगाय और जंगली सूअर नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे किसानों को मुनाफा की जगह अब नुकसान होने लगा है. ऐसे में किसान महंगी फसलों की खेती को छोड़ रहे हैं.
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