सुरसंड.
थाना क्षेत्र के मलाही गांव निवासी मनोज पाठक के पुत्र कुख्यात अपराधी रंजन पाठक (25 वर्ष) व उसके पड़ोसी अरविंद पाठक के पुत्र मनीष पाठक (32 वर्ष) की दिल्ली रोहिणी सेक्टर में बुधवार की देर रात पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है. रंजन के घर के मुख्य द्वार पर ताला लटका हुआ है. बाजपट्टी थाना क्षेत्र के बाबू नरहा गांव में बीते 17 जुलाई की शाम रंजन द्वारा आदित्य ठाकुर की गोली मारकर की गयी हत्या मामले में उसके पिता मनोज पाठक को भी नामजद किया गया था. इस मामले में उसके पिता जेल में बंद है. मनोज पाठक वर्ष 2006 से 2011 तक मलाही गांव के सरपंच रहे थे. इससे पूर्व वे वर्ष 1988 में अनौपचारिक शिक्षा में कार्यरत थे. सरकार द्वारा इस विभाग को बंद कर दिए जाने के बाद इस विभाग में कार्यरत कर्मियों ने संगठन बनाकर पटना उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था. इन लोगों के पक्ष में फैसला आने के बाद वर्ष 2012 में इनलोगों का समायोजन राजस्व विभाग में कर दिया गया. मनोज पाठक राजस्व कर्मचारी के पद से सेवानिवृत हैं. वहीं रंजन के लगातार फरार रहने व पुलिस द्वारा उसके घर के मुख्य द्वार पर इश्तेहार चस्पा किए जाने के बाद से विचलित होकर उसकी मां मलाही पंचायत की वर्तमान सरपंच बिंदला देवी घर के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर अपने नैहर नेपाल के महोत्तरी जिले के जलेश्वर थानांतर्गत हरदिया गांव में रह रही हैं. रंजन पाठक पर सुरसंड थाना में हत्या व आर्म्स एक्ट के दो मामले समेत जिले के बाजपट्टी व डुमरा थाना में भी कई मामले दर्ज हैं. रंजन पहली बार चर्चा में तब आया जब उसने सात अप्रैल 2024 की देर शाम वर्चस्व को लेकर मलाही गांव स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज के समीप ग्रामीण अभयनंदन सिंह उर्फ अभय सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके बाद 10 जनवरी 2024 को आर्म्स एक्ट में भी जेल गया था. इस दोनों घटना के बाद से रंजन हाल के दिनों में ताबड़तोड़ कई हत्या की घटना को अंजाम दिया था. उससे पांच बहनें बड़ी हैं. सभी शादीशुदा हैं. छोटा भाई हेमंत पाठक उर्फ प्रिंस पाठक हैदराबाद से होटल मैनेजमेंट करने के बाद दिल्ली में ही कार्यरत है. जबकि पुलिस मुठभेड़ में मारे गए रंजन के पड़ोसी अरविंद पाठक का इकलौता पुत्र मनीष पाठक बचपन से ही दिल्ली में रघुवीर नगर में रहता है. पड़ोसी मुकेश पाठक ने बताया कि उसके पिता बिजली की दुकान चलाते हैं. पिता के अक्सर बीमार रहने के चलते मनीष ही दुकान संभालता था. उन्होंने बताया कि मनीष छह वर्ष पूर्व परिवार में एक शादी समारोह में भाग लेने आया था. मलाही में अब तक उसका अपना घर नहीं बना है. पहचान के तौर पर एक छोटा सा झोपड़ी है. मनीष की शादी दो वर्ष पूर्व दिल्ली में ही हुई थी. उसे एक वर्ष की एक पुत्री है. पड़ोसी ने बताया कि इस घटना में मनीष के मारे जाने से उसके पाटीदार व मुहल्ला के लोग किंकर्तव्यविमूढ़ हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

