सीतामढ़ी. बुधवार को वासंतिक नवरात्र की चतुर्थी एवं पंचमी तिथि एक साथ पड़ने के कारण जिले के तमाम देवी मंदिरों एवं पूजा पंडालों में वेद मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कुष्मांडा एवं पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना और ध्यान किया गया. पंडित मुकेश कुमार मिश्र के अनुसार, देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कुष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है. मां कुष्मांडा सूर्य के समान तेज हैं. मां कुष्मांडा की विधिवत पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है. संस्कृत में कुम्हड़े को कुष्मांडा कहते हैं, इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कुष्मांडा कहा जाता है. वहीं, स्कंदमाता की पूजा करने वाले उपासकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. मंदिरों एवं पूजा-पंडालों में सुबह और शाम की आरती में बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष भक्त शामिल हो रहे हैं. खासकर संध्या की बेला में मां वैष्णो देवी मंदिर, कोट बाजार स्थित दुर्गा स्थान समेत विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए महिला भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. गुरुवार को नवरात्र की षष्ठी तिथि है. आज तमाम पूजा समितियों की ओर से कुंवारी कन्याओं द्वारा कलश शोभायात्रा एवं झांकी निकाली जाएगी. मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा, आरती एवं ध्यान किया जाएगा.
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