चोरौत.
प्रखंड क्षेत्र के वर्मा गांव में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन अयोध्या घाम से आए कथा वाचक आचार्य सत्यम शास्त्री जी ने राजा परीक्षित को दिए श्राप और फिर मुक्ति के लिए उनके भाई सुखदेव से मिलन की कथा सुनाई. उन्होंने कहा कि सात दिन बाद मृत्यु होने का श्राप मिलने से राजा परीक्षित चिंतित हो गए. राजा परीक्षित से मिलन के दौरान सुखदेव जी महाराज ने कहा कि सात दिन में मोक्ष सिर्फ भागवत गीता के श्रवण से ही हो सकता है. साथ ही राजा परीक्षित से भक्ति करने को कहा. मानव जीवन में ज्ञान विशेष महत्व ज्ञान व आसन को जीवन में विकास के दो पक्ष माना जाता है. ज्ञान के बिना जीवन अंधेरा है और आसन के बिना जीवन की पवित्रता नहीं है. चेतना के विकास के लिए ज्ञान के साथ अच्छा आचरण होना जरूरी है. अंत समय में जब राजा परीक्षित ने भगवान शुकदेव से कहे प्रभु तक्षक आ रहा है, अब मुझे जाना होगा. भगवान सुखदेव ने राजा परीक्षित से कहा परीक्षित तू कहां जाएगा, तुम तो अमर है, तू चैतन्य है तो यहां तो तेरा शरीर रह जाएगा. जिसे तक्षक आएगा और डसेगा और तुम्हारे शरीर को लोग पंचतत्व में विलीन कर देंगे. लेकिन तुम तो अमर हो तुम तो अमर हो तुम चैतन्य हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

