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नेपाल के शराब कारोबारी मालामाल

बेरोकटोक. िबहार में शराबबंदी के बाद नो-मेंस लैंड में बड़ी संख्या में खुलीं भट्ठियां सीतामढ़ी : बिहार में पूरी तरह शराब बंदी कर दी गयी. वैसे कुछ लोग हैं जो अब भी छुपा कर शराब की चंद बोतले रखे हुए हैं और उसका सेवन बीच-बीच में करते हैं. पूर्व की अपेक्षा अब ऐसे लोग पैग […]

बेरोकटोक. िबहार में शराबबंदी के बाद नो-मेंस लैंड में बड़ी संख्या में खुलीं भट्ठियां

सीतामढ़ी : बिहार में पूरी तरह शराब बंदी कर दी गयी. वैसे कुछ लोग हैं जो अब भी छुपा कर शराब की चंद बोतले रखे हुए हैं और उसका सेवन बीच-बीच में करते हैं. पूर्व की अपेक्षा अब ऐसे लोग पैग की संख्या में कमी कर दिये हैं. कल तक एक बैठका में चार-पांच पैग लेते थे तो अब शराब की भारी किल्लत के चलते एक पैग लेकर अपने मन को शांत कर ले रहे हैं. इधर, बॉर्डर इलाके के लोग शाम ढ़लते हीं नेपाल के गौर व अन्य शहरों में जा कर शराब का लुफ्त उठा रहे हैं. यह कहने में दो मत नहीं कि बिहार के लोगों के पैसे से नेपाल के शराब कारोबारी मालामाल हो रहे हैं.
शाम होते ही लग जाती है लाइन
शाम ढ़लते हीं बॉर्डर इलाके के लोगों की नेपाल के गौर शहर के इस्टु हाउस व देशी शराब की भट्ठी में जाने के लिए लाइन लग जाती है और देखते हीं देखते इस पार के लोगों से गौर पट जाता है. बंदी के कारण इन दिनों गौर में कई नये रेस्टोरेंट व इस्टुहाउस खुल गये हैं.
आर्थिक रूप से संपन्न लोग रेस्टोरेंट की शोभा बढ़ाते हैं तो कमजोर वर्ग के लोग देशी शराब की भट्ठी में हीं जाकर अपनी नशा की भूख शांत करते हैं. भट्ठी में खास कर वैसे लोग देखे जा रहे हैं जो मजदूर तबके के हैं. ये मजदूर कल तक पूरे दिन भी काम करते थे और आमदनी का अधिकांश हिस्सा ताड़ी व देशी शराब पर खर्च कर देते थे. इन लोगों को इस चीज से निजात दिलाने व आर्थिक रूप से संबल बनाने की मकसद से सरकार ने शराब बंदी की, पर यह बंदी बॉर्डर इलाके में बेमानी साबित हो रही है.
सूर्य अस्त व नेपाल मस्त
नेपाल के बारे में एक पुरानी कहावत है कि ‘सूर्य अस्त-नेपाल मस्त’. जिस किसी ने यह कहावत लिखी है, उसने सटीक लिखा है. इसे साबित करने के लिए वैसे तो नेपाल खुद सक्षम है, पर अब बॉर्डर इलाके के लोग भी इस कहावत के शाब्दिक अर्थ को शत-प्रतिशत साबित करने में अहम योगदान दे रहे हैं. शाम में नेपाल के रेस्टोरेंट व इस्टु हाउसों में नेपाल के 25 फीसदी तो भारतीय क्षेत्र के बॉर्डर के गांवों के 75 फीसदी लोग नजर आते हैं.
एसएसबी का खौफ नहीं
नशा के आदि हो चुके लोगों में बोर्डर पर तैनात एसएसबी का कोई खौफ नहीं रहता है. कारण कि लोग गौर जाते तो हैं एसएसबी के सामने से, पर लौटते हैं उस रास्ते से जहां एसएसबी जवानों का कोई अता-पता नहीं होता है. इस तरह के तो कई रास्ते हैं, जिसमें सबसे आसान नेपाल के महादेवपट्टी गांव व बैरगनिया के सेंदुरिया गांव के बीच का रास्ता है. नेपाल में शराब पीने के बाद अधिकांश लोग महादेवपट्टी व सेंदुरिया गांव होते हुए अपने घर को जाते हैं.
तस्करों के लिए सेफजोन
प्रभात खबर ने अपनी पड़ताल में पाया कि बिहार में शराब बंदी के बाद नो मैंस लैंड पर बड़ी संख्या में देशी शराब की भट्ठियां खुल गयी है. नेपाल के महादेवपट्टी गांव के समीप नो मैन्स लैंड पर देशी शराब की एक भट्ठी खुली है.
उसी के समीप नेपाली पुलिस भी यदा-कदा दिखती है. उक्त पुलिस भारतीय वाहनों का नंबर के साथ हीं वाहन चालक का नाम व पता नोट करती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि शराब के कारोबारी महादेवपट्टी होते हुए सेंदुरिया के समीप बोर्डर पार करते हैं और भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाते हैं. यह सबसे सेफ जोन है. कारण कि तस्करों को मालूम है कि सिंदुरिया के समीप बोर्डर पर कभी-कभी हीं एसएसबी का जवान दिखते हैं. पुलिस का दर्शन तो दुर्लभ हीं है.

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