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बोखड़ा पीएचसी में समस्या हीं समस्या

बोखड़ा पीएचसी में समस्या हीं समस्या फोटो नंबर-4 पीएचसी तक जानेवाली सड़क का हाल, 5 भवन का हाल, 6 चबूतरा विहीन चापाकल, 7 चिकित्सक डॉ संत शरण बोखड़ा : स्थानीय पीएचसी में समस्या हीं समस्या है. हाल यह है कि चिकित्सक को खुद पानी भर कर पीना पड़ता है. यानी कोई पानी पिलाने वाला भी […]

बोखड़ा पीएचसी में समस्या हीं समस्या फोटो नंबर-4 पीएचसी तक जानेवाली सड़क का हाल, 5 भवन का हाल, 6 चबूतरा विहीन चापाकल, 7 चिकित्सक डॉ संत शरण बोखड़ा : स्थानीय पीएचसी में समस्या हीं समस्या है. हाल यह है कि चिकित्सक को खुद पानी भर कर पीना पड़ता है. यानी कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं है. कार्यालय परिचारी का पद वर्षों से रिक्त है. इस तरह की और कई समस्या है. — ड्रेसर व महिला चिकित्सक नहीं पीएचसी में चिकित्सक का आठ पद स्वीकृत है. प्रखंड में 11 पंचायतों के लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सक का आठ पद स्वीकृत किया गया था, लेकिन कभी भी सभी पदों पर बहाली संभव नहीं हुई है. फिलहाल तीन चिकित्सक हैं. 17 में से आठ एएनएम हैं. ड्रेसर, महिला चिकित्सक व कंपाउंडर का पद रिक्त है. — दवा की भी कमी आउट डोर में 33 तरह की दवा रखनी है, जिसमें से 15 प्रकार की दवा है. इनडोर में 112 में से 45 प्रकार की दवा उपलब्ध है. कई जरूरी दवाएं नहीं है. एंटीबायटीक का घोर अभाव है. सबसे खास बात यह कि यहां एनबीसीसी मशीन नहीं है. बता दें कि जन्म लेने के बाद नौबत आने पर नवजात को सुरक्षित रखने के लिए एनबीसीसी मशीन में हीं रखा जाता है. यहां हर माह करीब 100 नवजात का जन्म होता है. बावजूद अब तक एनबीसीसी मशीन की व्यवस्था नहीं की गयी है. यानी नौनिहालों के भविष्य के प्रति स्वास्थ्य विभाग व सरकार किस हद तक गंभीर है, का अंदाजा लगाया जा सकता है. बताया गया है कि पीएचसी के पुरजा पर चिकित्सक को बाहरी दवा नहीं लिखना है, जबकि अधिकांश दवा उपलब्ध हीं नहीं रहता है. मरीजों के दबाव पर चिकित्सक दूसरे कागज पर बाहरी दवा लिखते हैं. — मरीजों की संख्या में कमी पीएचसी की व्यवस्था में सुधार के बजाय और बदतर होने से यहां आने वाले मरीजों की संख्या में कमी होती जा रही है. इस सच्चाई को स्वास्थ्य प्रबंधक अनिल कुमार ने बेहिचक स्वीकार किया. बताया कि कभी यहां प्रतिदिन 200 से 250 मरीज आते थे. अब यह संख्या 100 पर आ गयी है. — रात में नहीं रहते चिकित्सक रात में पीएचसी में मरीज भगवान भरोसे रहते हैं. मरीजों को एएनएम व ममता पर निर्भर रहना पड़ता है. कारण कि एक भी चिकित्सक रात्रि ड्यूटी नहीं करते हैं. प्रबंधक श्री कुमार इसके लिए चिकित्सकों की मजबूरी बताते हैं. कहते हैं कि पीएचसी परिसर में चिकित्सक के रहने के लिए क्वार्टर नहीं है. इसी कारण अपने डेरा पर रहते हैं. बुलाने पर चिकित्सक रात में आते जरूर हैं. — चबूतरा विहीन चापाकल पीएचसी का शौचालय ठीक-ठाक है. चापाकल पर चबूतरा नहीं होने से सभी को परेशानी होती है. प्रबंधन कहते हैं कि संबंधित विभाग द्वारा चापाकल लगाया गया, पर उसका फर्श नहीं बनाया गया.

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