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… अंतत: फुलवरिया घाट पर नहीं बन सका पुल

… अंतत: फुलवरिया घाट पर नहीं बन सका पुल (चुनाव पेज के लिए) फोटो नंबर- 4 फुलवरिया घाट का हाल, 5 से 12 तक क्षेत्र के लोग हर चुनाव में नेता पुल बनवाने का जरूर करते हैं वादा आज भी पूर्वी चंपारण जाने के लिए नाव हीं है सहारा विस चुनाव में पुल की मांग […]

… अंतत: फुलवरिया घाट पर नहीं बन सका पुल (चुनाव पेज के लिए) फोटो नंबर- 4 फुलवरिया घाट का हाल, 5 से 12 तक क्षेत्र के लोग हर चुनाव में नेता पुल बनवाने का जरूर करते हैं वादा आज भी पूर्वी चंपारण जाने के लिए नाव हीं है सहारा विस चुनाव में पुल की मांग को बनाया जा रहा है मुद्दा प्रतिनिधि, बैरगनिया. प्रखंड से लोग लालबकेया नदी के ढेंग घाट को पार कर पूर्वी चंपारण आते-जाते हैं. आज भी आने-जाने का एक मात्र साधन नाव ही है. बाढ़ व बरसात के दिनों में करीब दो माह तक उक्त घाट से आवागमन संभव नहीं हो पाता है. हर चुनाव में इस घाट पर पुल की मांग मुद्दा बनता रहा है. बावजूद जनप्रतिनिधि कोई कारगर कदम नहीं उठा सके. वर्ष 89 में मांग वर्ष 1989 में बागमती नदी के ढेंग घाट व लालबकेया नदी के फुलवरिया घाट पर पुल का निर्माण कराने की मांग उठायी गयी थी. उस दौरान चुनाव का समय था और क्षेत्र के लोग पुल नहीं तो वोट नहीं का नारा बुलंद किये थे. 20 नवंबर 1997 को यहां के स्वतंत्रता सेनानी वंशी चाचा ने उक्त दोनों स्थानों पर पुल निर्माण की मांग को लेकर नगर के पटेल चौक पर आत्मदाह कर लिया था. वह भी प्रशासन की मौजूदगी में. पुलिस फायरिंग में यहां के मुन्ना व बबलू नामक दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गयी थी तो कई लोग जख्मी हो गये थे. तब इलाके का प्रमुख मुद्दा पुल निर्माण हो गया था. वर्ष 2009 में ढ़ेंग घाट पर पुल बना, पर फुलवरिया घाट पर नहीं. दर्जन भर की हुई थी मौत वर्ष 2009 में फुलवरिया घाट पर नाव पलटने से उस पर सवार दर्जन भर लोगों की मौत हो गयी थी. बताया गया है कि वर्ष 2003 में पूर्व सांसद मो अनवारुल हक ने अपने कोष से उक्त घाट पर स्क्रूपाइल पुल का निर्माण कराया था. हालांकि कुछ माह बाद ही असामाजिक तत्वों ने पुल का नट-बोल्ट खोल कर पानी में बहा दिया था. खास बात यह कि विभाग की ओर से पुल को ध्वस्त करने के मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी थी. अधर में लटकी है योजना भारत सरकार की ओर से डंडो-नेपाल सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. इसके तहत फुलवरिया घाट पर पुल भी बनना है. पुल के स्थान को ले नेता व अभियंता में तालमेल नहीं बैठ सका है. पुल के डिजाइन व लंबाई का भी मामला फंसा हुआ है. डिजाइन की स्वीकृति अब तक नहीं मिल सकी है. हालांकि जहां पुल का निर्माण प्रस्तावित है, उसके दोनों ओर सड़क बना दिया गया है. पुल की मांग रहेगा मुद्दा सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुमार, पूर्व मुखिया दीनबंधु प्रसाद, पैक्स अध्यक्ष करुणाकर चौधरी, राजेश कुमार, अनिल मिश्र, भाई ओम प्रकाश, प्रह्लाद प्रसाद गुप्ता, पूर्व प्रमुख देवी प्रसाद चौधरी, मनोज कुमार, कमलेश कुमार, विकास जायसवाल व विनोद वालिया ने बताया कि विस चुनाव में फुलवरिया घाट पर पुल के निर्माण की मांग मुद्दा रहेगा. कहा कि इस गंभीर समस्या के निदान के प्रति सरकार को गंभीर होना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हो सका है.

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