सीतामढ़ी : परम पूज्य तपस्वी श्री नारायण दास जी महाराज की जीवन श्रीराम नाम की प्रचंड शक्ति से ओत प्रोत था. उन्होंने अपने आप को विश्व कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. वर्ष 1917 को नारायण दास जी महाराज का जन्म जिले के बगही रंजीतपुर गांव में हुआ था.
1951 में उन्होंने दारागंज प्रयाग से तपोनिष्ठ संत श्री श्री 108 श्री राम किशुन दास जी महाराज से गुरु दक्षिणा प्राप्त किया. गुजरात के द्वारिका में उसी वर्ष से अन्न जल का परित्याग कर गो-दुग्धाहार लेना शुरू कर दिया. 1953 में काशी में भजनानंदी महात्मा करतलिया बाबा से उनका प्रथम मिलन हुआ. वर्ष 1954 से उन्होंने राम नाम की शुरुआत की. वर्ष 1960 में 25 वर्षीय सीताराम नाम महायज्ञ का संकल्प और बगही मठ(सीतामढ़ी) पर सात दिसंबर को अनवरत राम नाम प्रारंभ किया. वर्ष 1962 में नवग्रही योग के अवसर पर नौ कीर्तन कुंजों में राम नाम जप शुरू किया. 1965 में 81 कीर्तन कुंजों में नौ दिवसीय राम नाम जप यज्ञ और 1966 में बगही मठ पर नवनिर्मित 108 पक्के कीर्तन कुंजों में नौ दिवसीय राम नाम जप यज्ञ शुरू किया.
बगही मठ पर कराया सर्वधर्म सम्मेलन
वर्ष 1972 में बगही मठ(सीतामढ़ी) में सर्वधर्म सम्मेलन तथा पटना के गांधी मैदान में राम नाम जप का आयोजन कराया. 1973 के मार्च माह में दिल्ली राजघाट पर 1008 नाम जापकों द्वारा राम नाम का जाप किया गया. उसी वर्ष अगस्त से दिसंबर तक देश के 21 प्रांतों में 62 स्थानों पर छह सौ नाम जापकों द्वारा राम नाम जाप किया गया. वर्ष 1974 में हरिद्वार, प्रयाग व अन्य महाकुंभों पर राम नाम जाप का आयोजन कराया. 1975 में बगही मठ पर 1008 कीर्तन कुंजों में सीताराम जप महायज्ञ व सर्वधर्म सम्मेलन किया.
सरयू तट पर किया 25 दिन अनशन
1978 में श्री अयोध्या जी में सरयू तट पर 25 दिनों के अनशन में अयोध्या के प्रमुख संत महात्माओं द्वारा राम नाम को राष्ट्रव्यापी बनाने के लिए पूर्ण सहयोग का वचन दिया गया. 1979 में उन्होंने जिगना मठ(गोपालगंज) पर छह वर्षीय अनवरत राम नाम जाप का शुभारंभ कराया. 1984 में बगही मठ(सीतामढ़ी) तथा जिगना मठ(गोपालगंज) में 108 कीर्तन कुंजों में राम नाम का जाप महायज्ञ किया. 1985 में श्री अयोध्या जी के राम नाम आश्रम फटिकशीला में तीन जुलाई से आठों पहर अनवरत राम नाम जाप का शुभारंभ किया और वहीं कुटिया बना कर निवास करने लगे. 1987 में श्री अयोध्या धाम स्थित आश्रम पर 27 कीर्तन कुंजों में श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ का आयोजन किया.
अयोध्या में कराया सीताराम जप महायज्ञ
1990 में श्री अयोध्या धाम स्थित आश्रम पर 108 कीर्तन कुंजों में 21 हजार नाम जापकों द्वारा श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ किया. फिर 1992 में 1008 कीर्तन कुंजों में श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ का आयोजन किया. इसके बाद 1997 में1008 कीर्तन कुंजों में 21 हजार नाम जापकों द्वारा श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ किया. वर्ष 2000 में राजधानी दिल्ली में 08 से 17 मार्च तक 1008 कीर्तन कुंजों में 21 हजार नाम जापकों द्वारा श्री सीताराम नाम जप महायज्ञ कराया. 28 दिसंबर को श्री धाम वृंदावन आश्रम में अनवरत सीताराम नाम का शुभारंभ कराया. इसी वर्ष सात दिसंबर को रात्रि 12 बज कर 15 मिनट पर वह सीताराम नाम आश्रम छटीकरा गोवर्धन मार्ग वृंदावन मथुरा में वे ब्रrालीन हो गये.

