रामकथा का सातवां िदन l राजा का यही कर्तव्य होता है कि अपनी प्रजा को व्यसन से बचाये
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िबहार में शराबबंदी को मोरारी बापू ने सराहा
रामकथा का सातवां िदन l राजा का यही कर्तव्य होता है कि अपनी प्रजा को व्यसन से बचाये सीतामढ़ी : आज के राजाओं को विदेहराज जनक से सीखने की जरूरत है. पहले के राजा अपने प्रजा की तकलीफों को जानने के लिए वेश बदलकर उनकी खबर जानने पहुंचते थे. केवल चुनाव के समय इधर, उधर […]
सीतामढ़ी : आज के राजाओं को विदेहराज जनक से सीखने की जरूरत है. पहले के राजा अपने प्रजा की तकलीफों को जानने के लिए वेश बदलकर उनकी खबर जानने पहुंचते थे. केवल चुनाव के समय इधर, उधर की बातें करना ठीक नहीं. उन्होंने प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार के नशाबंदी कार्यक्रम की सराहना की. कहा कि राजा का यही कर्तव्य होता है कि अपनी प्रजा को व्यसन से बचाये. मैंने सीएम नीतीश कुमार को बधाई भी दी थी.
बापू ने कहा िक यूपी के सीएम योगी जी बनारस जाकर इतनी भीषण ठंड में आधी रात को घूम-घूमकर ठिठुरते लोगों को कंबल ओढ़ा रहे थे. राजा को ऐसा करना चाहिए. यही राजाओं का धर्म है. योगी का यह कदम अच्छा लगा. उक्त बातें मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने मिथिला धाम में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा के सातवें दिन की कथा सुनाने के दौरान कही. बापू ने कहा कि पहले के राजा ऐसा करते थे. साधु-संत भिक्षा के बहाने प्रजा का हाल जानने निकलते थे. सबको ये करना चाहिए. बापू ने युवाओं से व्यसन से दूर रहने की अपील की.
देश को तीन चीजों की जरूरत. बापू ने कहा कि अक्ल और दिल जब अपनी-अपनी खुमार कहे, तो दिल की बात सुन लो. समस्या का हल, हल से निकलता है. इसी धरती पर विदेहराज जनक ने हलेश यज्ञ कर सोने का हल चलाया, तो करुणावतार जानकी जी आठ सखियों के साथ यहां प्रकट हुईं. तब से यह धरा धन्य है. यह धाम दब गया है. इस भूमि पर कोई भूखा न हो. लोगों को भोजन मिलना चाहिए. आउट ऑफ डेट को अपडेट करो. बापू ने कहा कि भारत को कहता हूं. इस देश को तीन वस्तुओं की जरूरत है. जिनके पास भोजन नहीं, उनको ब्रह्म के रूप में भोजन परोसा जाना चाहिए. राष्ट्र में कोई भूखा नहीं रहना चाहिए. दूसरा आरोग्य का साधन नि:शुल्क मिलना चाहिए. ऐसी अस्पताल हो, जहां हर बीमारी का इलाज नि:शुल्क हो. तीसरा सन्मार्ग के साथ शिक्षण व्यवस्था हो. शिक्षण आज धंधा का रूप ले लिया है. मैं समझ रहा हूं कि यह प्रासंगिक नहीं है, लेकिन बीज तो बो लूं.
यह भूमि समर्पण व संयम की
धाम वह है, जहां धान्य भरपूर हो. कोई भूखा न रहे. समाज की चिंता में शरीक हो जाओ. शासन सहयोग करे. सीतामढ़ी का स्वरूप बदलो. सीता जी को पृथ्वी ने धारण किया. वह भारत है. यह भूमि समर्पण व संयम की है. इस धरती को धाम के रूप में उजागर करने के लिए राजा जनक जी महाराज ने भूमि खनन किया. सीतामढ़ी धाम नहीं कहलाया जा रहा, ये कसर हमारी है. हम मां सीता से प्रार्थना करते हैं कि इस परम पवित्र भूमि को मूल प्रकाश प्रकट करें.
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