पुपरी : कृषि विज्ञान केंद्र, बलहा मकसूदन के उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजिकार ने बताया कि इस प्रकार का ठंड करीब पंद्रह वर्षों बाद पड़ रहा है. वर्ष 2003 में करीब एक महीने तक इस प्रकार का ठंड, कुहासा, सर्द पछिया हवा व शीतलहर का प्रकोप हुआ था. जिसमें कई प्रकार की क्षति हुई थी. तुलसी के पौधे समेत कई प्रकार के पौधे सूख गये थे. सर्प समेत कई प्रकार के जीव जंतु की मौत काफी संख्या में हुई थी. दर्जनों की संख्या में मनुष्यों व पशुओं की मौत हुई थी.
ठंड, कुहासा व शीतलहर से आलू व टमाटर की फसल को नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है. दोनों फसल पर झुलसा रोग का प्रकोप कहर बरपा सकता है. इससे बचाव के लिए रिडोमिल एम जेड 78 का छिड़काव करना चाहिए. उन्होंने बताया कि गेहूं की फसल को काफी लाभ होगा. पौधे में अत्यधिक वृद्धि होगी. उन्होंने बताया कि अभी तक न्यूनतम तापमान चार डिग्री सेल्सियस व अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. आज का तापमान सात व 20 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है.
पुपरी के चिकित्सक डॉ एम कुमार, डॉ ओमप्रकाश व डॉ श्रीपति झा ने बताया कि ठंड के कारण बच्चों में कोल्ड डायरिया, निमोनिया, बुखार, सर्दी-खासी व अन्य लोगों में रक्तचाप में वृद्धि, लकवा आदि का प्रकोप बढ़ गया है. डॉक्टरों ने ठंड से बचाव, गर्म कपड़े का इस्तेमाल, अलाव का लाभ व किसी प्रकार की परेशानी होने पर अतिशीघ्र चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दी है.