सीतामढ़ी : जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के जब-जब दावे किये जाते है, व्यवस्था उतनी ही बदहाल होती जाती है. चाहे पीएचसी की व्यवस्था हो या सदर अस्पताल की व्यवस्था. चिकित्सक, कर्मी व दवाओं के अभाव में सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर पटरी से उतर गयी है. चिकित्सक, कर्मी व संसाधनों के अभाव का दंश झेल रहे सदर अस्पताल का काम इन दिनों मरीजों के इलाज के बजाय उन्हें रेफर करने तक सिमट कर रह गया है.
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दवाओं का अभाव, दुआओं के भरोसे मरीजों की सेहत
सीतामढ़ी : जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के जब-जब दावे किये जाते है, व्यवस्था उतनी ही बदहाल होती जाती है. चाहे पीएचसी की व्यवस्था हो या सदर अस्पताल की व्यवस्था. चिकित्सक, कर्मी व दवाओं के अभाव में सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर पटरी से उतर गयी है. चिकित्सक, कर्मी व […]
सदर अस्पताल के मरीजों की जिंदगी इन दिनों खतरे में है. इसकी सबसे बड़ी वजह दवाओं का अभाव होना है. सदर अस्पताल के इमरजेंसी सेवा हो या ओपीडी, बड़ी संख्या में दवाओं की किल्लत है. दवाओं के अभाव में मरीजों को खुले बाजार का रुख करना पड़ता है. जो लोग दवा खरीद कर लाते है, उनका इलाज हो जाता है, लेकिन जिनके पास दवा के लिए पैसे नहीं होते है वैसे मरीज को चिकित्सक रेफर कर देते है. सदर अस्पताल में इन दिनों इमरजेंसी में दी जाने वाली दवाओं का भी अभाव है. हालत यह है कि यहां भरती मरीज दवाओं के सहारे नहीं बल्कि दुआओं के सहारे रह गये है.
मरीजों की संख्या में बेतहासा इजाफा: सीतामढ़ी. सदर अस्पताल में मरीजों की संख्या में बेतहासा इजाफा हो रहा है. चाहे ओपीडी सेवा हो या इमरजेंसी सेवा. मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या से चिकित्सक व कर्मी भी परेशान है. जिस अनुपात में मरीज अस्पताल में पहुंच रहे है, उस अनुपात में न तो चिकित्सक व कर्मी है और नहीं दवा ही. रोजाना सुदूर ग्रामीण इलाकों से इलाज के लिए पहुंचे मरीज जहां कड़ी धूप में घंटों कतार में लग कर पर्ची कटवाते है, वहीं डॉक्टर से दिखाने के लिए भी उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
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