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सख्ती. दो दिनों में कम दाम में बिकी शराब, प्रशासनिक सख्ती से खौफ

शराब की दुकानों में लटके रहे ताले शेखपुरा में 35 शराब दुकानें रात दस बजे तक सील शेखपुरा : राज्य स्तर पर चलाये जा रहे शराब बंदी अभियान के तहत जिले के 35 शराब दुकानें गुरुवार को रात्रि दस बजे तक बंद करने की कार्रवाई जारी है. इस बाबत उत्पाद अधीक्षक विकेश कुमार ने बताया […]

शराब की दुकानों में लटके रहे ताले

शेखपुरा में 35 शराब दुकानें रात दस बजे तक सील
शेखपुरा : राज्य स्तर पर चलाये जा रहे शराब बंदी अभियान के तहत जिले के 35 शराब दुकानें गुरुवार को रात्रि दस बजे तक बंद करने की कार्रवाई जारी है. इस बाबत उत्पाद अधीक्षक विकेश कुमार ने बताया कि जिले में देशी की कुल आठ, कंपोजिट की 15 व विदेशी शराब की 12 दुकानें है. जिले में लाइसेंसी दुकान संचालकों के द्वारा जैसे-जैसे शराब समाप्ति के आवेदन प्राप्त हो रहे हैं. वैसे-वैसे दुकान सील करने की कार्रवाई की जा रही है.
जिले में शराब दुकानें सील करने की कार्रवाई को लेकर कुल आठ टीमें गठित की गयी है. जिसके माध्यम से बरबीघा शेखपुरा शहरी क्षेत्र एवं अरियरी, चेवाड़ढ़, घाट कोसुम्भा, बरबीघा ग्रामीण, शेखपुरा ग्रामीण एवं शेखोपुरसराय प्रखंडों में भी गुरुवार को दुकान सील करने की जिम्मेवारी दी गयी. जिले में शराब बंदी को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब निर्माण एवं कारोबार को धराशायी करने की भी प्रशासनिक मुहिम तेज करने की बात कही गयी.
शराबबंदी पर चर्चा तेज
जिन मयखानों में दिन भर शराबियों की भीड़ लगी रहती थी. मछली, मुर्गा के पीस के साथ जम कर शराब का लुत्फ उठाया जाता था, उन मयखानों में गुरुवार को सन्नाटा पसरा रहा. शराब की इन दुकानों में शराब बेचने के अंतिम दिन ताले लटके रहे. राह गुजरते लोग इन दुकानों की ओर एक नजर देखते व मुंह फेर कर चल देते.
शराब के शौकीन शहर में भटकते रहे
बिहारशरीफ. शहर का व्यस्ततम चौक भराव पर चौराहा दक्षिणी सब्जी मंडी के पास शराब की दुकानें हैं. गुरुवार का दिन है, 12 बजे हैं. सब्जी मंडी होने की वजह से लोगों की आवाजाही तेज है. सड़क के दोनों तरफ पूरब और पश्चिम शराब की दुकानें हैं, जिसमें आज ताला लटका है. दुकानदार का भी अता-पता नहीं है. आसपास के दुकानदार बताते हैं कि दुकान में शराब ही नहीं है. पहले ही शराब खत्म हो गयी है. इसलिए बंद कर दुकानदार चला गया है.
स्थानीय लोग बताते हैं कि दुकान में शराब ही नहीं है. पहले ही शराब खत्म हो गयी है. इसलिए बंद कर दुकानदार चला गया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि एक अप्रैल से देशी शराब की बिक्री पर रोक व अंग्रेजी शराब सरकारी स्तर पर बेचने की घोषणा से दुकानदार ने कम शराब का उठाव किया था, जो होली के समय ही बिक गया था. उसके बाद से शराब का उठाव नहीं हुआ था. इसी बातचीत के दौरान एक युवक बुजुर्ग व्यक्ति को बाइक पर बैठा कर वहां से गुजर रहा था.
बाइक पर पीछे बैठे बुजुर्ग बाइक चला रहे युवक से कहते हैं एक मिनट, एक मिनट रूको. बाइक की रफ्तार धीमी हो जाती है, मगर रूकती नहीं है. बाइक चला रहे युवक बोल उठता है – क्या हुआ! बुजुर्ग कहते हैं कि जरा रूको तो सही. इस पर बाइक चला रहा युवक कहता है कि काहेला! सब्जी खरीदना है क्या! घर में तो सब्जी हैं ही!
बुजुर्ग कहता है कि देखते हैं कि शराब की दुकान खुली है या नहीं. बाइक रूक जाती है और बुजुर्ग कभी इधर तो कभी उधर देखने के बाद बाइक चला रहे युवक से कहता है कि आज से बंद हो गलऊ शराब के दुकान. दुकानदारवो पर नजर न पड़ हऊ. बाइक चलाने वाला युवक इस पर कहता है कि अब छोड़ऊ ई शराब का नशा. शराब के दुकनमो बंद हो गेलो, मगर तोहर जी अब तक न मान रहलो हे.
चलऊ घरवा मम्मी से कह लियो. इसके बाद युवक बाइक चलाते हुए आगे बढ़ जाता है. शाम तक भराव पर सब्जी मंडी की दोनों दुकानें बंद रही. लोग आते रहे, नजर दुकान की ओर दौड़ाते और चुपचाप निकल जाते. यहीं नजारा कचहरी चौराहा एवं हॉस्पीटल मोड़ की भी रही. दोनों जगह भी शराब की दुकानें बंद दिखी.
ना तो शराब बेचने वाले दिखे और ना ही शराब पीने वाले. इन दोनों जगहों की शराब की दुकानों में ताले लटके रहे. कचहरी चौराहा के पास चाय की दुकान पर कुछ लोग बैठे हैं और शराब बंदी पर चर्चा करने में मशगूल है. हाथ में चाय का गिलास थाने एक अधेड़ कहता है कि अब तो शराब का शौक पूरा करने के लिए ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे. अब तो शराब सरकार द्वारा निर्धारित दुकानों पर ही मिलेगा.
चाय की चुस्की लेता हुआ एक व्यक्ति बोल पड़ता है कि अब क्या करबू नेताजी, आज तो दुकनमे बंद हो. इस पर पहले वाला व्यक्ति शायराना अंदाज में कहता है कि अब तो उतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में, हम जितनी छोड़ दिया करते थे पैमाने में. वहीं अस्पताल चौक के पास जूस बेचने केि लए कई ढेला लगे हुए हैं.
शराबी लोगों की शाम यहां रंगीन होती थी और लोग जूस में शराब को मिला कर लुत्फ उठाया करते थे. एक भलमानस जूस की दुकान के पास ही बैठे है. सामने की शराब की दुकान में ताले लटके हैं. जूस दुकानदार से उस भलमानस की बातचीत हो रही है. भलमानस दिखाने वाले व्यक्ति कहते हैं कि शराब और मेरा ब्रेकअप हजारों बार हो चुका है, हर बाद कंबख्त मुझे मना लेती है.”
पिछले दो दिनों शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी के साथ ही देसी शराब कम दामों पर बेची जा रही थी. देसी शराब कहीं 20 रुपये तीन पाउच व कहीं दो पाउच 400 एमएल वाली बेची गयी.
अंग्रेजी शराब भी कम कीमत पर खूब बिकी. 8 पीएम का आधा जिसकी कीमत 175 रुपये भी कहीं 150 रुपये में तो कहीं 140 तो कहीं 130 रुपये में बेची गयी. यही स्थिति अन्य अंग्रेजी शराब की रही. निर्धारित कीमत से कम कीमत पर बिक रही देशी व अंग्रेजी शराब की लोगों ने जम कर खरीदारी की.
नशा उन्मूलन अभियान चलाया गया: हरनौत. नशा उन्मूलन अभियान के तहत जन जागृति मोरचा के बैनर तले बाजार में प्रभात फेरी निकाला गया. मोरचा के संयोजक चंद्र उदय कुमार के नेतृत्व में बीच बाजार तिराहा मोड़ से चल कर मेन रोड,गोनावां रोड,रेलवे स्टेशन, चंडी रोड समेत कई सड़कों-मोहल्लों में हाथ में नारा युक्त तख्ती लेकर नशा नहीं करने का नारा बुलंद किया. रैली में राजेश रंजन, मुसाफिर दास, हीरा लाल, सुरेश प्रसाद समेत दर्जनों लोग शामिल थे.
माइक से ”जो हुआ नशा का शिकार,उजड़ा उसका घर परिवार”, ”नशा करके जाओगे घर नहीं पहुंच पाओगे”, पियोगे दारू पत्नी मारेगी झाड़ू आदि नारे लगाये गये. चंद्र उदय कुमार मुन्ना ने गोनावां रोड मोड़ पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार को देशी की तरह विदेशी शराब भी बंद कर देनी चाहिए. ताकि नशा के खिलाफ आम लोगों से लेकर सरकारी महकमे को संघर्ष करने की जरूरत ही न पड़ें.

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