इमिरिता गांव के समीप अपराधियों ने दिया घटना को अंजाम बिक्रमगंज के घुसियां गांव मजदूरी के लिए साइकिल से जा रहा था योगेंद्र मारपीट में हुई एक व्यक्ति की मौत के मामले में जेल से छूट कर आया था फोटो -16- घटना के बाद मौके पर पहुंचे डीएसपी. प्रतिनिधि, सूर्यपुरा. सूर्यपुरा थाना क्षेत्र के इमिरिता गांव के समीप सोमवार की सुबह करीब नौ बजे बाइक सवार अपराधियों ने साइकिल से मजदूरी करने जा रहे एक युवक की गमछे से गला घोंटकर निर्मम हत्या कर दी और शव को नहर में फेंककर फरार हो गये. घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गयी, जबकि परिजनों ने घटनास्थल पर पहुंच कर शव को रोक कर सड़क जाम कर दी. सूचना मिलते ही डीएसपी कुमार संजय, अंचल निरीक्षक शेर सिंह यादव, थानाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा मौके पर पहुंचे और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया. मृतक की पहचान सूर्यपुरा थाना क्षेत्र के कवई गांव निवासी योगेंद्र राम (पुत्र हृदयानंद उर्फ शगुन राम) के रूप में हुई है. जानकारी के अनुसार, योगेंद्र राम बीते कुछ दिनों से रोज की तरह सोमवार सुबह अपनी साइकिल से बिक्रमगंज के घुसियां गांव मजदूरी के लिए निकला था. लेकिन अलीगंज-गोशलडीह नहर पथ पर इमिरिता गांव के समीप घात लगाये पल्सर बाइक सवार तीन अपराधियों ने उसे घेर लिया और गमछे से गला कसकर उसकी जान ले ली. पुलिस के अनुसार, हत्या की यह वारदात किसी पुरानी रंजिश का नतीजा हो सकती है. डीएसपी कुमार संजय ने बताया कि डेढ़ साल पहले कवई गांव में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट में गंभीर रूप से घायल चुनमुन राम की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. उस मामले में चार आरोपितों को जेल भेजा गया था. इनमें से योगेंद्र राम एक महीने पहले ही जमानत पर जेल से बाहर आया था. पुलिस इस हत्या को उसी पुराने मामले से जोड़कर जांच कर रही है. घटना के बाद मृतक के परिजनों का आक्रोश फूट पड़ा. उन्होंने शव को सड़क पर रखकर आवागमन ठप कर दिया और जब तक अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होती, शव नहीं उठाने देने की जिद पर अड़ गये. डीएसपी कुमार संजय ने दोबारा घटनास्थल पहुंचकर परिजनों को भरोसा दिलाया कि जल्द ही सभी अपराधियों की गिरफ्तारी होगी, तब जाकर परिजनों ने शव को पुलिस को सौंपा. थानाध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा ने बताया कि शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए सासाराम सदर अस्पताल भेज दिया गया है. मृतक के पिता के बयान पर पुलिस ने कई ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. हालांकि समाचार लिखे जाने तक मृतक के परिजनों की ओर से कोई लिखित आवेदन नहीं दिया गया है, जिससे अभियुक्तों के नाम की पुष्टि नहीं हो पायी है. यह वारदात न केवल एक युवक की जिंदगी छीन ले गई, बल्कि उसके परिवार के उस संघर्ष को भी उजागर कर गई जो वह जेल की सलाखों के पार और अब बाहर भी लगातार झेल रहा था. न्याय की उम्मीद अब एक बार फिर पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन की संवेदनशीलता पर टिकी है.
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