इ-किसान भवन में कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन फोटो-3- कर्मशाला को संबोधन करते डीएओ व मंचासीन अधिकारी. प्रतिनिधि, सासाराम ग्रामीण धान समेत विभिन्न फसलों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग तेजी से बढ़़ा है. किसान धान की फसल में पोटाश व जिंक को डालने से परहेज कर रहे हैं. पोटाश व जिंक किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी है. ये बातें सोमवार को सदर प्रखंड स्थित इ-किसान भवन में आयोजित खरीफ कर्मशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान डीएओ राम कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कृषि प्रणाली में रसायनिक खाद के प्रयोग में खेती की लागत काफी बढ़ गयी है. ऐसे में मिट्टी में पोषक तत्वों के स्थायी प्रबंधन की बहुत आवश्यकता है. धान की खेती में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक समेत अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. मिट्टी में स्थायी रूप से पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए समन्वित खाद प्रबंधन प्रणाली बेहद कारगर साबित हो सकती है. इसको संक्षिप्त में आइएनएम अवधारणा कहा जाता है. उन्होंने कहा कि इस प्रणाली में जैविक खाद, खेती के अवशेषों, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैव उर्वरक और फसल चक्र को अपनाकर धान की फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जैविक खाद के लगातार प्रयोग से मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति की जा सकती है. वहीं इसके इस्तेमाल से मिट्टी की जल ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ती है. इसके लिए धान की रोपाई के 25 से 30 दिनों पहले प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की सड़ी खाद डालना चाहिए. गोबर खाद को पूरे खेत में अच्छी तरह से मिलाने के लिए एक जुताई कर दें. इससे खेत के हर हिस्से में पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने में मदद मिलेगी. मौके पर सदर बीडीओ जर्नादन तिवारी, सदर बीएओ ठाकुर पासवान, उप परियोजना निदेशक आत्मा सौरभ कुमार, कृषि समन्वयक इंद्रमणि चौबे, बसंत कुमार सिंह, अरविंद सिंह, बीर बहादुर सिंह, किसान दिलीप कुमार, मनोज कुमार सहित कई कृषि अधिकारी व कर्मी मौजूद थे.
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