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किराये के मकान में स्थापना का डायमंड जुबली मनायेगा तिलौथू डाकघर

कर्मचारियों के साथ जगह की कमी से जूझ रहा है उप डाकघर, आबादी का बढ़ा है दबाव, एक अतिरिक्त डाकघर की जरूरत, सात साल बाद तिलौथू उप डाकघर मनायेगा अपना डायमंड जुबली

राकेश कुमार, तिलौथू अंग्रेजी शासन काल में सन् 1932 में तिलौथू में उप डाकघर की स्थापना हुई थी. अब तक 93 वर्ष के हो चुके. अगले सात साल बाद 2032 में तिलौथू उप डाकघर अपना डायमंड जुबली मनायेगा. पर, इन 93 वर्षों में उप डाकघर तिलौथू को अपना भवन नसीब नहीं हो सका है. जबकि इन 93 वर्षों में आबादी का दबाव काफी बढ़ा है. लेकिन, किराये के मकान में होने के कारण उसके जगह में बदलाव नहीं हो सका है. कर्मचारियों की कमी और जगह का अभाव है. उप डाकघर में उस समय अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है, जब कोई प्रतियोगी परीक्षा के लिए फॉर्म भरने का समय होता है. तब कर्मचारियों से लेकर ग्राहक तक परेशान होते हैं. ऐसे में उप डाकघर के लिए लगातार अपना या फिर बड़े भवन की मांग उठते रहती है. या फिर एक सहायक डाकघर होना जरूरी महसूस किया जा रहा है. बाबू राधा प्रसाद सिन्हा ने उपडाक घर की करायी थी स्थापना 1932 ई में तिलौथू स्टेट के स्व बाबू राधा प्रसाद सिन्हा ने अपने स्टेट के एक मकान में उप डाकघर की स्थापना करायी थी. उस समय पूरे बिहार में कुछ ही जगहों पर डाकघर की व्यवस्था थी. ऐसे में तिलौथू में स्थापित डाकघर तिलौथू स्टेट के स्टेटस को बल देता था. लेकिन, बाद के दिनों में वर्ष 2016 में तिलौथू स्टेट के वारिसों को उस जमीन की दरकार हो गयी. वे अपनी जमीन वापस ले लिए, तो सरकार ने उप डाकघर को किराये के मकान में शिफ्ट कर दिया. जहां वर्तमान में भी कठिनाइयों के बीच उसका संचालन हो रहा है. 93 वर्ष में भी नहीं बढ़ी कर्मचारियों की संख्या सन् 1932 से चार कर्मचारियों के पदस्थापन का नियम वर्तमान में भी लागू है. वर्तमान में तिलौथू उप डाकघर में एक पोस्टमास्टर संजय कुमार, एक पोस्टल असिस्टेंट सुबोध कुमार, पोस्टमैन अनिरुद्ध प्रसाद व पोस्टमैन सनी प्रताप कार्यरत हैं. ये चारों मिलकर उप डाकघर से करीब 15 हजार की जनसंख्या को सेवा दे रहे हैं. पोस्ट मास्टर ने कहा कि कम से कम फिलहाल एक पोस्टल असिस्टेंट व एक पोस्टमैन की अति आवश्यकता है. अगर दो पद भी बढ़ जायेगा, तो कुछ काम करने में सहूलियत होगी. और डाकघर को सुचारू ढंग से चलाया जा सकता है. चिट्ठी के माध्यमों की बिक्री लगभग शून्य, योजनाओं का है बोलबाला करीब दो वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री को भेजने के लिए लोगों ने पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय की खूब खरीद की थी. इसके बाद पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय व लिफाफा को खरीदने वाले शून्य के बराबर हैं. पोस्ट मास्टर ने कहा कि खरीद की शून्यता के बावजूद डाकघर में इन सभी की उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में योजनाओं का बोलबाला है. सुकन्या योजना, पीपीएफ योजना, सीनियर सिटीजन फिक्स्ड डिपॉजिट योजना, आरडी, एसबी, टीडी योजना, एनएससी व केभीपी नामक योजनाएं चल रही हैं. बड़ी संख्या में लोग सुकन्या योजना लाभ ले रहे हैं. वहीं सीनियर सिटीजन योजना भी काफी चर्चित है. जिसमें सीनियर सिटीजन के लोग एक बार फिक्स डिपाजिट करते हैं, जिन्हें अच्छा ब्याज मिलता है. जो उनके बुढ़ापे का सहारा होता है. क्या कहते हैं ग्राहक मैं यहां अपनी ढाई साल की पुत्री के लिए सुकन्या योजना का खाता खुलवाने आया हूं. थोड़ी देर हो रही है. यहां कर्मचारी बहुत ही कम हैं. सरकार को कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी चाहिए. -अमित कुमार बहुत छोटी-सी जगह में डाकघर होने से परेशानी होती है. अभी ठंड का मौसम है, तो भी 10 लोगों के आने पर गर्मी महसूस हो रही है. इस डाकघर को और जगह मिलनी चाहिए. ताकी ग्राहक को परेशानी नहीं हो. – पूजा कुमारी तिलौथू की जनसंख्या बढ़ी है. डाकघर इसके अनुरूप नहीं है. कर्मचारी भी कम है और जगह भी कम है. अब डाकघर बैंक के बराबर काम कर रहा है, तो ऐसे में यहां सुविधा भी बढ़नी चाहिए. -लाल बिहारी प्रजापति जब डाकघर खुला था, तब तिलौथू की आबादी बहुत कम थी. लेकिन, आज तिलौथू की आबादी काफी बढ़ चुकी है. इस लिहाज से यहां पर एक और उप डाकघर होना चाहिए. पिछले दिनों प्रखंड के सरैया गांव में उप डाकघर खोलने की बात हुई थी. लेकिन, मामला ठंडा पड़ गया. – पोस्ट मास्टर संजय कुमार

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