सासाराम ऑफिस. जिले की मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में सामने आये आंकड़े राजनीतिक हलकों में हलचल मचाने वाले हैं. यहां पिछले दिनों 1.56 लाख मतदाताओं के नाम हटाये गये, वहीं नये नाम जुड़ने के लिए केवल 4,556 आवेदन आये हैं. यानी कटे हुए नामों की तुलना में जुड़े नामों का प्रतिशत मात्र 3.42 फीसदी है. यह असमानता राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि हर पार्टी अपने-अपने परंपरागत वोट बैंक को सुरक्षित रखने की जद्दोजहद में लगी है. शनिवार को जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी उदिता सिंह की अध्यक्षता में राजनीतिक दलों की बैठक हुई, जिसमें बताया गया कि बैठक में बताया गया कि 9 अगस्त से 22 अगस्त तक जिले की सभी विधानसभाओं से नाम जोड़ने के लिए 4,556 प्रपत्र–6, नाम विलोपन के लिए 495 प्रपत्र–7 और नाम संशोधन व स्थानांतरण सहित दिव्यांग चिह्नित करने के लिए 3,334 प्रपत्र–8 प्राप्त हुए हैं. वहीं, प्रारूप प्रकाशित निर्वाचक सूची में अब तक 97 प्रतिशत निर्वाचकों के दस्तावेज मिल चुके हैं. शेष दस्तावेज प्राप्त करने के लिए बीएलओ, बीएलए–2 व स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है. दावा-आपत्ति दाखिल करने की अंतिम तिथि 1 सितंबर तय की गयी है. बैठक में यह साफ हो गया कि मतदाता सूची में नाम हटने और जुड़ने की गति में भारी असंतुलन है. हटे नामों पर राजनीतिक दलों की चिंता बैठक में आरजेडी, जदयू, बीजेपी, आप, बसपा, भाकपा (मार्क्सिस्ट), लोजपा (रा) और भाकपा (माले) के नेताओं ने शिरकत की. सूत्रों के मुताबिक, कई दलों के प्रतिनिधियों ने इस आंकड़े पर चिंता जतायी कि अगर नये मतदाताओं का नाम जुड़ने की रफ्तार ऐसी ही रही तो आगामी विधानसभा चुनाव में सीधा असर पड़ सकता है. खासकर महिला और कमजोर वर्ग के वोटर पीछे छूट रहे हैं, जिस पर सियासी दलों ने असहमति जतायी. लिंगानुपात व निर्वाचन जनसंख्या अनुपात ने बढ़ायी टेंशन उप निर्वाचन पदाधिकारी के मुताबिक, प्रारूप मतदाता सूची में लिंगानुपात घटकर अब 891 हो गया है. यानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी और कम हो गई है. वहीं, निर्वाचन जनसंख्या अनुपात भी गिरकर 556 पर आ गया है. राजनीतिक दृष्टिकोण से यह आंकड़े चुनावी तैयारियों के लिए खतरे की घंटी हैं. जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी दलों से अपील की कि महिला, दिव्यांग और कमजोर वर्ग के योग्य मतदाताओं का नाम जुड़वाने में बीएलए स्तर पर सक्रियता बढ़ायी जाए. दावा और आपत्ति दाखिल करने की अंतिम तिथि 1 सितंबर तय है, जिसके बाद यह सूची आगामी विधानसभा चुनाव के लिए निर्णायक साबित होगी.
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