सासाराम नगर. जिले में धान के फसल की कटाई तेजी से शुरू हो गयी है. किसान जल्द से जल्द धान की फसल काटकर गेहूं की बुआई में जुटना चाह रहे हैं. लेकिन, उनके सामने पुआल बड़ी समस्या बनकर खड़ा हो गया है. हार्वेस्टर से धान की कटाई होने से यह समस्या दिन पर दिन बढ़ रही है. कृषि विभाग इस फसल अवशेष के प्रबंधन के नाम पर बस किसानों को जागरूक कर रहा है कि आप फसल अवशेष अपने खेतों में न जलाएं. अगर किसान उनकी इस घोषणा की अवहेलना कर अपना फसल अवशेष मजबूरी में जला रहे हैं, तो उनपर बीएनएसएस के सुसंगत धारा-152 के तहत कार्रवाई की जा रही है. अब तक जिले के 17 किसानों पर नियम का उल्लंघन करने के आरोप में एफआइआर दर्ज की जा चुकी है. वहीं, अनुमंडल पदाधिकारी सासाराम ने पांच किसानों का डीबीटी बंद करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे किसानों के सामने दोहरी संकट उभर गयी है. अगर समय से पुआल हटाकर गेहूं की बुआई नहीं हुई, तो फिर खेत खराब हो जायेगा. किसान परेशान हैं पर अधिकारी अपनी मनमानी पर तुले हैं. जिले के अधिकारी किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए जितना पसीना बहा रहे हैं. अगर वह उन फसल अवशेष के प्रबंधन का प्रयास करते, तो किसानों के सामने यह संकट नहीं उभरती. फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपकरण बहुत ही कम कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पूरे जिले में इसबार 2.14 लाख हेक्टेयर धान की खेती हुई है. इसके पुआल के प्रबंधन के लिए 1527 उपकरण जिले में हैं, जो पुआल का प्रबंधन विभिन्न प्रकार से करते हैं. लेकिन, यह इतनी बड़ी खेती के फसल अवशेष प्रबंधन के लिए बहुत ही कम है. अगर सभी मशीन लगा भी दिये जायें, तो भी पुआल को खेतों नहीं हटाया जा सकता है. ऐसे में किसानों पर जबरन एफआइआर करने से पहले जिला प्रशासन को किसानों की समस्याओं से अवगत होना जरूरी है. अगर किसानों की बात सुनें, तो इसमें से स्ट्रॉ रिपर और हार्वेस्टर में एसएमएस (स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम) ही सबसे बेहतर विकल्प है. अन्य उपकरण बेकार हैं. साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन पर खर्च बहुत ज्यादा होने से किसान बच रहे हैं. क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अब तक जिले में उपलब्ध उपकरण कार्य कर रहे हैं. यह उपकरण 2.14 लाख हेक्टेयर धान की खेती के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए किसानों को पुआल नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. प्रभाकर कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी क्या कहते हैं किसान अगर पुआल प्रबंधन की व्यवस्था सरकार कर दे, तो फिर हमें पुआल जलाने की जरूरत नहीं है. मजबूरी में हमें ऐसा करना पड़ता है. क्योंकि पुआल खेत से हटाने में बहुत पैसे खर्च हो जाते हैं. जनार्दन सिंह एक हेक्टेयर में स्ट्रॉ रिपर के लिए छह हजार रुपये लिये जा रहे हैं. यह पैसे हम कहां से ले आयेंगे. मनरेगा के पास मजदूर हैं, तो सरकार को चाहिए कि इन मजदूरों से हमारे खेतों का पुआल हटवा दें. ताकि हम गेहूं की बुआई समय से कर सकें. अशोक सिंह हार्वेस्टर वालों के ऊपर जिला प्रशासन को एफआइआर करना चाहिए. क्योंकि, वह पूरे पैसे लेकर किसानों का फसल काटते हैं. लेकिन, बिना एसएमएस मशीन लगाये धान की कटाई करते हैं. ऐसे में पुआल का प्रबंधन किसानों को करना पड़ता है. मधुरेश उपाध्याय किसानों को केवल परेशान किया जा रहा है. जिला प्रशासन के पास कृषि का कोई रोडमैप नहीं है. धान और गेहूं की कटाई शुरू नहीं होती कि इनको फसल अवशेष की चिंता सताने लगती है. लेकिन, इन फसलों के बीच में इन्हें अवशेष प्रबंधन का कार्य नहीं दिखता है. नरेंद्र चौबे
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