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उद्घाटन के नौ साल बाद भी बस स्टैंड के अंदर नहीं लगी एक भी बस

1.60 करोड़ रुपये की लागत से बना नासरीगंज बस पड़ाव बना शोभा की वस्तु, मुख्य द्वार की कम ऊंचाई और चालकों की उदासीनता से सड़क किनारे लगतीं हैं बसें

नासरीगंज. नगर स्थित नासरीगंज बस पड़ाव का उद्घाटन 24 दिसंबर 2016 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना से रिमोट के माध्यम से किया था. इसके बाद लगा था कि नासरीगंज में विकास की एक नयी कड़ी जुड़ गयी है. लेकिन, नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी इस खूबसूरत बस पड़ाव के मुख्य द्वार से एक भी बस की इंट्री नहीं हुई है. आज भी यहां से गुजरने वाली बसें सड़क किनारे ही रुकती हैं और वहीं से यात्री चढ़ते-उतरते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि सरकार की ओर से इस बस पड़ाव के उपयोग पर किसी प्रकार की रोक नहीं है. बस चालकों को बस स्टैंड के अंदर जाने की पूरी अनुमति है, लेकिन उन्होंने कभी इसकी जरूरत ही नहीं समझी. उद्घाटन के नौ साल बाद भी शायद ही किसी ने इस बस पड़ाव के अंदर खड़ी कोई बस देखी हो. अब यह खूबसूरत बस पड़ाव सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. 24 सौ वर्गफीट में बना अत्याधुनिक बस स्टैंड करीब 24 सौ वर्गफीट में बना यह बस स्टैंड पूरी तरह सुसज्जित है. यहां महिला और पुरुष यात्रियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं. दिव्यांग यात्रियों के लिए भी विशेष शौचालय की व्यवस्था की गयी है. आकर्षक लाइटिंग और पेंटिंग से बस पड़ाव बेहद खूबसूरत दिखता है. सड़क किनारे बस लगाने से होता है जाम और दुर्घटना का खतरा सड़क किनारे बसें रोककर यात्रियों को चढ़ाने-उतारने से अक्सर लंबी कतारें लग जाती हैं और जाम की समस्या उत्पन्न होती है. मुख्य सड़क पर बस लगने से दुर्घटना की आशंका भी बढ़ जाती है. चालकों का कहना है कि बस पड़ाव के मुख्य गेट की ऊंचाई कम है, जिससे बस की बॉडी गेट से टच होती है. साथ ही उनका तर्क है कि बस को अंदर ले जाना और बाहर निकालना समयसाध्य है, इसलिए वे सड़क किनारे ही बसें लगाते हैं.चालकों ने स्पष्ट कहा कि सड़क पर जाम से लोगों को होने वाली परेशानी उनकी जिम्मेदारी नहीं है, यह प्रशासन का काम है. 1.60 करोड़ रुपये की लागत से बना बस स्टैंड, उपयोग शून्य नगर पंचायत बस स्टैंड का निर्माण बुटको ने करीब 1 करोड़ 60 लाख रुपये की लागत से किया था. यात्री भवन, शौचालय, पेयजल और विद्युत व्यवस्था सहित सभी सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद बस स्टैंड का उपयोग नहीं हो सका है. उपयोग के अभाव में असामाजिक तत्वों द्वारा यहां की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. वर्तमान में सभी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन बस चालकों की उदासीनता और संरचनागत खामियों के कारण यह बस पड़ाव बेकार पड़ा है. क्या कहती हैं मुख्य पार्षद मुख्य पार्षद शबनम आरा ने बताया कि बस स्टैंड के मुख्य द्वार की ऊंचाई कम होने के कारण बसें अंदर नहीं जा पातीं. छोटी वाहनें अंदर से खुलती हैं और लगती भी हैं. बस और छोटे वाहन चालकों को निर्देश दिया गया है कि मुख्य सड़क पर वाहन न लगाएं. सभी वाहनों को बस स्टैंड में लगाना अनिवार्य है. हालांकि, बस चालकों का कहना है कि समय के अभाव में वे बसों को स्टैंड में नहीं ले जा पाते हैं. विकास कुमार, इओ

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