अकबरपुर. 15 सौ फुट की ऊंचाई पर कैमूर पहाड़ पर बसे सैकड़ों गांवों के वनवासी पिछले 15 वर्षों में धीरे-धीरे पलायन करने पर मजबूर हैं. कारण कि वनवासियों को आजादी से लेकर अब तक बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य की समस्या से मुक्ति नहीं मिली है. इस कारण परेशानियों से जूझते हुए वनवासी अपने पुस्तैनी मकान को छोड़ कर धीरे-धीरे पलायन कर रहे हैं. दर्जनों गांवों से सैकड़ों वनवासी बौलिया से लेकर मिल्की, बस्कटिया, ऊंचैला, जलालाबाद, अकबरपुर, बकनौरा सहित तेलकप मोड़ के इर्द-गिर्द बसने पर मजबूर हैं. लेकिन, उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है. जानकारी के अनुसार, लगभग 15 वर्ष पहले नक्सलियों का बोलबाला था. इनके डर से लोग किसी तरह पहाड़ पर ही गुजर-बसर किया करते थे. मगर नक्सलियों के समाप्त होने पर लोग आजादी से जीने के लिए पहाड़ के नीचे जमीन लेने लगे और धीरे-धीरे मकान बनाकर रहने लगे. लेकिन, दो दशकों तक डकैतों के डर से अपने पैसे को छुपाया और अंधकारमय जिंदगी गुजारी. दो दशकों से ज्यादा नक्सलियों का बोलबाला रहा. उनका इलाके में इतना खौफ था के अगर वो रात को दिन कहे, तो दिन ही कहना पड़ता था. इस वजह से लोगों ने समस्या होते हुए भी पलायन के लिए नहीं सोची. नक्सलियों के जमाने में जो भी वनवासी पहाड़ के नीचे से वास्ता रखते थे, उस पर उनलोगों की कड़ी नजर होती थी. और वो लोग उसे पुलिस का दलाल समझा करते थे. लेकिन, जैसे ही पहाड़ नक्सलीयों से मुक्त हुआ और क्षेत्र में शांति बहाल हुई. लोग अपने बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए पहाड़ से नीचे उतरने लगे. जमीन खरीद कर लोग धीरे धीरे बसने लगे. वनवासियों को जमीन खरीदने से कई जगह ऐसी जमीन है, जो महंगी बिकने लगी और सस्ती जमीन को भी लोगों ने को महंगा कर दिया. देखते देखते हालत यह हुआ कि आम आदमी के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी जमीन लेकर रोहतास ब्लॉक के इर्द गिर्द रहने लगे. कहते हैं वर्तमान मुखिया हां, यह बिल्कुल सही है कि लोग क्षेत्र में शांति बहाल होने पर बड़ी संख्या में पलायन किये हैं. मगर पंचायत की जनता को किसी तरह की कोई भी दिक्कत हम जैसे प्रतिनिधि नहीं आने देते हैं. बल्कि, उनके काम को और आसानी से किया जाता है. वैसे पंचायत के लोगों के लिए चौबीस घंटा घर का दरवाजा खुला रहता है और प्रतिदिन क्षेत्र में लोगों से संपर्क में रहता हूं. नागेंद्र यादव, मुखिया, रोहतास गढ़ पंचायत कहते हैं पुर्व मुखिया रोहतासगढ़ किला के पास नागा टोली में मेरा घर है. साथ ही प्रतिदिन प्रखंड में रहता है और यहां रहने से जनता का काम में आसानी से हो जाता होता है. उनकी सेवा करने में आनंद महसूस होता है. कई गांव ऐसे हैं, जिसमें से लोग पलायन कर पहाड़ से नीचे बस गये हैं. मेरे ही गांव से लगभग एक दर्जन से अधिक लोग बौलिया से लेकर रोहतास तक सुविधा नहीं होने की वजह से बस गये हैं. कृष्ण यादव, पुर्व मुखिया, रोहतास गढ़ पंचायत पूर्व मुखिया पीपर डीह पंचायत पहाड़ पर शांति बहाल होने के बाद दर्जनों गांवों से सैकड़ों लोग पलायन कर नीचे बस गये हैं. हम जैसे जन प्रतिनिधि भी नीचे आकर घर बना लिए हैं. क्योंकि, पंचायत के समस्या के लिए प्रतिदिन पच्चास किलोमीटर आना जाना मुश्किल होता था. अब प्रखंड मुख्यालय पर हर वक़्त मौजूद रहते हैं, जिससे लोगों को कोई परेशानी नहीं हो. श्याम नारायण उरांव, पुर्व मुखिया, पिपरडीह पंचायत कहते हैं वनवासी पानी, बिजली, सड़क व स्वास्थ की परेशानी हमसभी वनवासियों को हो रही है. इसे दूर करने के लिए हमलोग नीचे आकर बस गये हैं. बच्चों के भविष्य के लिए अपने पुस्तैनी घर को छोड़कर चले आये हैं. पूर्व में नक्सली से लेकर डकैत का राज था, जिसकी वजह से हम लोग काफी पीछे रह गये थे. अब वहां पर शांति ही है, तो बच्चों के भविष्य के लिए धीरे-धीरे जमीन लेकर नीचे बस रहे हैं. भरत यादव, भवन तलाव , रोहतास गढ़ पंचायत. कहते हैं आधिकारी पहाड़ पर जो समस्याएं हैं, उसे सरकार दूर कर रही है़ उसके लिए निरंतर प्रयास भी किया जा रहा है़ आज के तारीख में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ और शिक्षा पर ही ज्यादा कार्य किया जा रहा है. अबु बकर, कनीय अभियंता, पीएचइडी विभाग
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