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आज ही के दिन तिरंगा फहराने में अंग्रेजों की गोली से शहीद हुए थे जगदीश प्रसाद

SASARAM NEWS.गांधीजी ने जब करो या मरो का नारा दिया पूरा शाहाबाद आंदोलित हो उठा था. 14 अगस्त 1942 को टाउन हाइस्कूल से आजादी के दीवानों की टोली निकली. स्कूल से चंद गज की दूरी पर अनुमंडल पदाधिकारी के निवास के सामने (वर्तमान में रोहतास जिला कलेक्ट्रेट) तिरंगा फहराना था.

अनुराग शरण, सासाराम

गांधीजी ने जब करो या मरो का नारा दिया पूरा शाहाबाद आंदोलित हो उठा था. 14 अगस्त 1942 को टाउन हाइस्कूल से आजादी के दीवानों की टोली निकली. स्कूल से चंद गज की दूरी पर अनुमंडल पदाधिकारी के निवास के सामने (वर्तमान में रोहतास जिला कलेक्ट्रेट) तिरंगा फहराना था. पर सामने अंग्रेजों की पुलिस खड़ी थी. इसी बीच अदम्य साहस और देशभक्ति का परिचय देते हुए छात्रों की भीड़ से एक दुबला पतला नौजवान हाथों में तिरंगा लेकर निकला. अभी कुछ कदम ही चला होगा कि अंग्रेज पुलिस की ओर से गोली चली और उसके पैर में लगी. फिर, भी हौसला कम नहीं हुआ और वो आगे बढ़ने लगे, जिसे देख अंग्रेजों ने गोलियों की बौछार कर दी. जिससे उस दुबले-पतले नौजवान को कई गोलियां लगी और उसने वहीं अपने प्राण देश के लिए न्यौछावर कर दिया. छात्रों में भगदड़ मच चुकी थी. तिरंगे के लिए गोली खाने वाले नौजवान थे, शाहाबाद (वर्तमान में भोजपुर) जिला के पीरो थाना क्षेत्र के बचरी गांव निवासी स्व. नन्हूं प्रसाद के वीर सुपुत्र जगदीश प्रसाद. उस समय शहीद जगदीश प्रसाद की उम्र मात्र 16 वर्ष थी. जो, सासाराम शहर के कोठाटोली मुहल्ले में अपने बड़े भाई शिक्षाविद् सह अधिवक्ता स्व. ब्रज कुमार सहाय उर्फ बीरन बाबू के यहां रहकर पढ़ाई कर रहे थे. शहीद जगदीश प्रसाद को गोली लगने और मृत्यु होने से आक्रोशित क्रांतिवीरों ने रेलवे स्टेशन के सामने प्रदर्शन किया, तो वहां भी अंग्रेजों ने छात्रों पर गोली चला दी, जिसमें कउपा गांव के जयराम सिंह, सासाराम के महंगू राम और जगरनाथ राम शहीद हो गये. जिससे पूरे शहर सन्नाटा पसर गया. यह खबर आग की तरह शाहाबाद में फैल गयी. छात्रों में उबाल आ गया. फिर, क्या था? चारो ओर अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन होने शुरू हो गये.

शहीदों की याद में रेलवे स्टेशन के सामने शहीद स्मारक बना

पांच साल बाद 15 अगस्त 1945 को देश आजाद हुआ, तो शहीदों की याद में रेलवे स्टेशन के सामने शहीद स्मारक का निर्माण हुआ, जिसके शिलापट्ट पर 14 अगस्त 1942 के शहीदों के अंकित नाम को देख कृतज्ञ जनता नमन कर उन्हें याद करते रहती है. प्रत्येक राष्ट्रीय त्योहारों पर जिला प्रशासन, शहर के सामाजिक संगठन व राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता माल्यार्पण कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. आजादी के उन दीवानों का ही देन है कि हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं

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