अकोढ़ीगोला़ प्रखंड क्षेत्र में धान की कटनी शुरू हो गयी है, लेकिन खरीदार के अभाव में किसान परेशान हैं. पैक्सों में धान की खरीद लगभग ठप है, जिससे व्यापारी औने-पौने दामों पर धान खरीद रहे हैं. किसान मजबूरी में व्यापारियों की दरों पर धान बेचने को विवश हैं. पैक्स की खरीद गति इतनी धीमी है कि अब तक महज डेढ़ सौ क्विंटल धान ही खरीदा गया है. इससे पैक्स की नीयत पर भी सवाल उठ रहे हैं और किसान व्यापारियों की ओर उम्मीद लगाये बैठे हैं. किसान चंदन सिंह कहते हैं कि धान पककर तैयार है और कटनी भी शुरू हो गयी है, लेकिन खरीददार नहीं हैं. व्यापारी 1700 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद रहे हैं. पैक्स अब तक खरीद शुरू नहीं कर पाया है, जिससे किसान लाचार हैं. प्रमोद राम बताते हैं कि व्यापारी मनमाना दाम तय कर रहे हैं. कोई 17 सौ तो कोई 18 सौ रुपये प्रति क्विंटल दर बता रहा है. पैक्स खरीद नहीं कर रहा है. किसान धान को लंबे समय तक स्टोर कर नहीं सकता, क्योंकि गेहूं बोने के लिए तुरंत रकम चाहिए और खाद-बीज का उधार पहले से है. ऐसे में किसी भी दाम पर धान बेचना मजबूरी है. ललन कुशवाहा कहते हैं कि कटाई समय पर न होने पर खेत की नमी खत्म हो जायेगी और गेहूं की बोआइ प्रभावित होगी. धान का उचित मूल्य नहीं मिल रहा और किसान की क्षमता नहीं कि वह धान को ज्यादा दिनों तक घर में रख सके. इसलिए मजबूरी में कम दाम पर बेचने की नौबत आ गयी है. नरेंद्र सिंह के अनुसार, इस बार किसान दोहरी मार झेल रहा है. पहले एक बीघा में करीब 20 क्विंटल धान होता था, लेकिन इस बार 12 से 13 क्विंटल ही उपज हुई है. वहीं, पिछले वर्ष 2200 रुपये प्रति क्विंटल धान बिक रहा था, लेकिन इस बार व्यापारी 17 से 18 सौ रुपये की दर भी एक माह के उधार पर मांग रहे हैं. बांक पैक्स अध्यक्ष कृष्णा कुमार सिंह ने कहा कि पैक्स 2369 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदेगा. दो दिनों में खरीद शुरू की जायेगी. अभी धान में नमी पायी जा रही है. प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी आलोक कुमार ने बताया कि अब तक 13 किसानों से 146 क्विंटल धान की खरीद की गयी है. क्या कहते हैं बीडीओ प्रखंड विकास पदाधिकारी रवि रंजन ने बताया कि किसानों की धान खरीद सुनिश्चित करने के लिए सभी किसान सलाहकारों को निर्देश दिया गया है. सलाहकार सर्वे कर रहे हैं कि किस किसान को धान बेचना है. धान बिक्री की तिथि निर्धारित कर सूची जिले को भेजी जायेगी. प्रयास है कि अधिक से अधिक किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जा सके.
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