छपरा. भारतीय रेलवे में कार्यरत लोको पायलटों के लिए अब काम करना पहले की अपेक्षा कहीं अधिक आरामदायक और सुरक्षित हो गया है. पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि रेलगाड़ियों के लोको केबिनों को एसी, एर्गोनोमिक सीट, शौचालय और अन्य आधुनिक सुविधाओं के साथ अपग्रेड किया जा रहा है. कुमार ने बताया कि 2014 के पहले तक इन सुविधाओं की कोई योजना नहीं थी, लेकिन अब सभी नये इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव एसी कैब और शौचालय सहित आ रहे हैं, जबकि पुराने इंजनों में रेट्रोफिटिंग के जरिए ये सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं. इसके लिए डिजाइन में भी जरूरी संशोधन किये जा रहे हैं. पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत सभी प्रमुख रेल लाइनों पर शत-प्रतिशत विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है, जिसके फलस्वरूप अब सभी ट्रेनों का संचालन इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव से हो रहा है. इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में डीजल इंजनों की तुलना में शोर नहीं होता, कैब अधिक विशाल और आरामदायक होती है और बड़ी विंडो से बेहतर दृश्यता मिलती है. भारतीय रेलवे ने लोको पायलटों के ड्यूटी घंटों को सवारी गाड़ियों में अधिकतम आठ घंटे और मालगाड़ियों में 10 घंटे तय किया है. इसके बाद उन्हें विश्राम के लिए रनिंग रूम भेजा जाता है, जहां वे विश्राम करके अगली ड्यूटी के लिए तैयार होते हैं. मुख्यालय पर 16 घंटे और रनिंग रूम में आठ घंटे का विश्राम अनिवार्य रूप से दिया जाता है.
पूर्वोत्तर रेलवे के सभी 18 रनिंग रूम अब वातानुकूलित सुविधा से लैस हो चुके हैं. वाराणसी मंडल के अंतर्गत छपरा, बलिया, भटनी, बनारस, प्रयागराज रामबाग, थावे और सीवान के रनिंग रूम में लोको पायलटों को बेहतर आराम की सुविधा दी जा रही है. मंडल की चार लोको लॉबी छपरा, मऊ, गोरखपुर पूर्व और वाराणसी भी सभी आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित हैं. अब तक पूर्वोत्तर रेलवे के 176 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में एसी लगाए जा चुके हैं, जबकि 90 और इंजनों में एसी लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है. इससे न केवल वर्किंग कंडीशन बेहतर हुई हैं, बल्कि संरक्षा स्तर में भी सुधार आया है.पीआरओ ने कहा कि भारतीय रेलवे लोको पायलटों के कार्यस्थल को सुरक्षित, आरामदायक और आधुनिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले कुछ वर्षों में ऑन बोर्ड सुविधाएं, तकनीकी उन्नयन और पर्याप्त विश्राम व्यवस्था के चलते लोको पायलटों का कार्य वातावरण लगातार बेहतर होता जा रहा है.
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