छपरा. सारण जिले में इन दिनों महिला संवाद कार्यक्रम महिलाओं की सहभागिता और नेतृत्व क्षमता का जीवंत उदाहरण बनता जा रहा है. बिहार सरकार एवं जीविका द्वारा शुरू की गयी यह पहल अब केवल योजनाओं की जानकारी साझा करने तक सीमित नहीं रह गयी है, बल्कि यह एक ऐसा मंच बन चुकी है जहां गांव की महिलाएं अपने अधिकारों, आकांक्षाओं और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर खुलकर बोल रही हैं और नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. अमनौर प्रखंड की आरती देवी जो रामजानकी जीविका महिला ग्राम संगठन की सदस्य हैं. वह बताती हैं कि उनके अपहर गांव के वार्ड संख्या दो में मध्य विद्यालय में कंप्यूटर लैब की सख्त आवश्यकता है. वह कहती हैं, कि आज जब हर कार्य डिजिटल हो रही है, हमारे बच्चे कंप्यूटर से वंचित हैं. यदि उन्हें स्कूल में ही तकनीकी शिक्षा दी जाये, तो वे आत्मनिर्भर बनेंगे और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे. दिघवारा प्रखंड की महिलाओं ने पंचायत स्तर पर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने वाले लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों की स्थापना की मांग की है. उनका कहना है कि बेरोजगारी के कारण बड़ी संख्या में युवक व महिलाएं पलायन को मजबूर हैं. यदि उनके गांव में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाएं तो इससे न सिर्फ आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि पारिवारिक स्थिरता और सामाजिक संरचना भी मज़बूत होगी. महिलाओं ने स्थानीय संसाधनों और उपलब्ध कौशल के आधार पर रोजगारपरक इकाइयों की स्थापना की दिशा में सरकार से ठोस पहल की मांग की है. वर्तमान में सारण के 18 प्रखंडों में जीविका द्वारा गठित 1,993 ग्राम संगठनों के माध्यम से महिला संवाद कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से संचालित किये जा रहे हैं.
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