छपरा. छपरा रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही जिले भर के अंचल कार्यालयों में हड़कंप मच गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस अधीक्षक राज किशोर सिंह ने रिकॉर्ड रूम का दौरा कर महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी ली और जांच की दिशा तय की. अब मामले की हर पहलू पर विस्तृत छानबीन की जा रही है, जिससे दफ्तरों में कार्यरत कर्मचारियों से लेकर जमीन माफियाओं तक की सांसें फूल गयी हैं.
सूत्रों के अनुसार, 2015 के बाद छपरा अंचल कार्यालय सहित अन्य कार्यालयों में अनियमितताओं की लंबी फेहरिस्त बन चुकी है. इसमें राजस्व दस्तावेजों में हेरफेर, रजिस्टर-2 के पन्नों की अदला-बदली और पुराने रैयतों के नामों से छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप सामने आये हैं.जमीन सर्वे में उजागर हो रहे फर्जीवाड़े
जिले में जारी जमीन सर्वे के दौरान लोगों द्वारा अपने पुराने कागजात खंगालने पर एक के बाद एक फर्जीवाड़े के मामले उजागर हो रहे हैं. रजिस्टर-2 में जानबूझकर पुराने रैयतों के नाम काटकर नये नाम जोड़े गये, जिन पर बिना रजिस्ट्री के ही दाखिल-खारिज और लगान रसीदें जारी कर दी गयी. बताया जा रहा है कि राजस्व कर्मचारी गैरकानूनी तरीके से निजी कर्मियों की बहाली कर उन्हें सरकारी गोपनीय दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान कर रहे हैं. इन निजी कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की आशंका और भी गहरी हो गयी है.अंचल कार्यालयों में माफियाओं का वर्चस्व
सूत्रों के अनुसार, अंचल कार्यालयों में भूमि माफियाओं का सीधा हस्तक्षेप है. कई राजस्व कर्मचारी और लेखपाल माफियाओं के प्रभाव में कार्य कर रहे हैं, जिससे भूमि संबंधित धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कुछ मामलों में जब गलत नाम दर्ज होने की शिकायत की गयी, तो अंचल कार्यालय से डीसीएलआर और एडीएम कोर्ट में अपील करने की सलाह दी गयी. इससे आम जनता न्याय के लिए लंबी प्रक्रिया और मानसिक परेशानी से गुजर रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

