छपरा. सदर अस्पताल में गुरुवार की शाम इलाज के दौरान तरैया थाना क्षेत्र के पिरोना गांव निवासी एक वृद्ध मरीज की मौत हो गयी. मृतक की पहचान श्री मांझी के रूप में हुई है. परिजनों ने इलाज में लापरवाही और अनियमितता का आरोप लगाते हुए दो चिकित्सकों समेत चार लोगों के खिलाफ भगवान बाजार थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है.
परिजनों के अनुसार, रीढ़ की हड्डी से संबंधित समस्या के इलाज के लिए गुरुवार शाम को मरीज को सदर अस्पताल लाया गया था. लेकिन अस्पताल में मौजूद दलालों ने यह कहते हुए कि इमरजेंसी में हड्डी रोग विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं, मरीज को नगर थाना क्षेत्र के पोखरा स्थित एक निजी क्लिनिक में भेज दिया. निजी क्लिनिक में चिकित्सकों ने इलाज के बदले डेढ़ लाख रुपये की मांग की और पहले 20 हजार रुपये जमा करने को कहा. परिजनों के पास तत्काल केवल तीन हजार रुपये थे, इसलिए उन्होंने बाकी राशि बाद में देने का आग्रह किया. इस दौरान मरीज की हालत और बिगड़ गयी, जिसके बाद उसे फिर से सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. इसके बाद सदर अस्पताल में भी ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक और दलालों ने थोड़ी देर इंतजार करने को कहा. लेकिन इलाज शुरू होने से पहले ही मरीज की मौत हो गयी. इसके बाद परिजन आक्रोशित हो गये और एक दलाल को पकड़ लिया. वहीं मौके पर पहुंची पुलिस ने एक दलाल को हिरासत में ले लिया. वहीं इस मामले को लेकर परिजनों ने डॉ संतोष कुमार, पंकज कुमार सिंह, नन्हे राय और एक निजी क्लिनिक के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी है. उनका आरोप है कि सरकारी अस्पताल से मरीजों को बरगलाकर निजी क्लिनिक भेजा जाता है, जहां अवैध रूप से पैसे की वसूली की जाती है और मरीजों की जान से खिलवाड़ होता है. पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गयी है.दलालों ने किया परिजनों को गुमराह
मृतक के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय वे मरीज को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे थे, उस समय इमरजेंसी विभाग में हड्डी रोग विशेषज्ञ ड्यूटी पर तैनात थे. इसके बावजूद वहां मौजूद दलालों ने यह कहकर गुमराह किया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं और उन्हें निजी क्लिनिक ले जाने के लिए मजबूर किया गया. परिजनों का कहना है कि सदर अस्पताल में लंबे समय से दलालों की सक्रियता बनी हुई है. वे आये दिन मरीजों को इसी तरह बहला-फुसलाकर निजी क्लिनिकों में भेजते हैं, जहां अवैध रूप से बड़ी राशि वसूली जाती है. इससे न केवल मरीजों की आर्थिक शोषण होता है, बल्कि उनकी जान भी खतरे में पड़ जाती है.क्या कहते हैं उपाधीक्षक
इस पूरे मामले की जानकारी मिली है. पूछताछ की जा रही है. जो लोग भी इसमें दोषी पाये जायेंगे. उन पर अस्पताल प्रशासन द्वारा भी कड़ी कार्रवाई की जायेगी. दलालों की आवाजाही पर अस्पताल में पूरी तरह रोक है. सुरक्षा गार्ड की भी तैनाती करायी गयी है.
डॉ आरएन तिवारी, उपाधीक्षक, सदर अस्पतालडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

