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करोड़ों की लागत से बना सरकार भवन, लेकिन लोगों को नहीं मिल रहा लाभ

ग्रामीण प्रशासन को गांव के स्तर पर सशक्त करने, जन-सेवाओं को ग्रामीणों के करीब लाने और सरकारी योजनाओं को आसानी से ग्रामीणों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से बनाया गया एकमा प्रखंड अंतर्गत नवादा पंचायत का सरकार भवन अपने उद्देश्यों से भटक गया है, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को सरकार भवन का लाभ नहीं मिल रहा जिससे लोगों में आक्रोश है.

रसूलपुर/एकमा. ग्रामीण प्रशासन को गांव के स्तर पर सशक्त करने, जन-सेवाओं को ग्रामीणों के करीब लाने और सरकारी योजनाओं को आसानी से ग्रामीणों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार द्वारा करोड़ों की लागत से बनाया गया एकमा प्रखंड अंतर्गत नवादा पंचायत का सरकार भवन अपने उद्देश्यों से भटक गया है, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को सरकार भवन का लाभ नहीं मिल रहा जिससे लोगों में आक्रोश है. सरकार द्वारा पंचायत सरकार भवन बनवाने का उद्देश्य था कि लोगों को छोटे छोटे कामों के लिए प्रखंड मुख्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़े और एक हीं छत के नीचे प्रमाण पत्र बनाने से लेकर सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी व किसी भी शिकायत का निवारण हो सके पर यह सरकार भवन महज एक स्टोर रूम व असमाजिक तत्वों का अड्डा बन कर सिमट गया है, इसके चारों तरफ गंदगी व बदहाली का आलम है, जहां फेंके गए खाली शराब की बोतलें भवन में हो रही करतूतों को बयां करती है, जहां जनप्रतिनिधि व कर्मी सिर्फ झंडा फहराने के लिए हीं यहां नजर आते हैं,जिससे लोगों में आक्रोश है, लोगों का कहना है कि ग्रामीण स्तर तक सेवाओं को पहुंचाने के लिए इसका निर्माण कराया गया था लेकिन कुछ कर्मियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते भवन में चलनेवाले कार्यों पर ग्रहण लगा है, यहां कार्यों की शुरूआत करने के लिए किसी तरह का प्रयास तक नहीं किया जा रहा है जो सुशासन के वादे पर एक धब्बा साबित हो रहा है. नवादा पंचायत का यह सरकार भवन पुरी तरह से बदहाली का शिकार हो चुका है जो सुशासन और जन-सुविधाओं के दावों की पोल खोल रही है. वर्षों पूर्व जिस भव्य भवन का धूमधाम से उद्घाटन किया गया था आज वहां विरानी पसरी है, वहीं जनता से जुड़ी सभी तरह की सेवाएं ठप है,यहां कोई भी सरकारी कार्य नहीं होता है जिससे लोगों को छोटे से छोटे कामों के लिए भी आठ कि.मी. दुर प्रखंड मुख्यालय तक भागदौड़ करनी पड़ती है. पंचायत का मुखिया गणेश कुमार ने बताया कि कर्मचारियों की मनमानी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण भवन का यह हाल है. मुखिया के अनुसार कोई भी राजस्व कर्मचारी या कर्मी स्थानीय कुछ दबंग लोगों के कारण यहां रहना असहज महसूस करते हैं वहीं कई ग्रामीण मुखिया के वक्तव्य को बेतुका बताया है.

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