छपरा. बढ़ती गर्मी के बीच शहरवासियों को पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है. कई इलाकों में पाइपलाइन तो बिछी है. लेकिन सप्लाइ नियमित नहीं हो सकी है. वहीं जिन मुहल्लों में सप्लाइ होती है. वहां अधिकतर जगहों पर जलमीनारों से ही पेयजल की नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है. ऐसे में गर्मी शुरू होते ही पेयजल की उपलब्धता के लिए शहरवासियों की टेंशन बढ़ने लगी है.
शहर में कुल 45 वार्ड हैं. जिनमें से एक दर्जन से अधिक ऐसे वार्ड हैं जहां अबतक सप्लाइ शुरू नहीं हो सकी है. इन मुहल्लों में रहने वाले लोग कई बार नगर निगम से लिखित में शिकायत भी कर चुके हैं. इसके बाद भी न तो पाइपलाइन से उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोई पहल की गयी और ना ही मुहल्ले में खराब पड़े चापाकल तथा जर्जर पाइप लाइन को दुरुस्त करने की कोई कवायद हुई. शहर के नगरपालिका चौक, राजेंद्र सरोवर मोड़, गुदरी, मौना, हुस्से छपरा, भिखारी चौक, गांधी चौक, दौलतगंज, रतनपुरा आदि कई प्रमुख मुहल्ले में पेयजल की आपूर्ति नियमित नहीं हो सकी है.चापाकल भी नहीं दे रहे हैं पानी
शहर के विभिन्न वार्डों के अंतर्गत चौक- चौराहे व गली मुहल्लों में चापाकल लगाये गये हैं. हालांकि दो दर्जन से अधिक ऐसे मुहल्ले हैं जहां विगत एक वर्षों से चापाकलों का मेंटेनेंस नहीं हुआ है. जिस कारण इन चापाकलों से पानी नहीं निकल पा रहा है. कई जगहों पर हैंडपंप खराब हो गया है. वहीं कई जगहों पर मेंटेनेंस नहीं होने के कारण इसमें से पानी नहीं निकल रहा है. विदित हो कि पिछले वर्ष ही गर्मी शुरू होने से पूर्व नगर निगम ने पीएचइडी विभाग को सभी खराब पड़े हैंडपंप की सूची बनाकर उनके मेंटेनेंस के लिए कहा था. हालांकि एक वर्ष बीत जाने के बाद भी पीएचइडी द्वारा अब तक खराब पड़े चापाकलों का मेंटेनेंस नहीं हो पाया है. गर्मी शुरू होने से पूर्व जिलाधिकारी ने भी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये थे.आपूर्ति के अभाव में बिगड़ा घर का बजट
शहर के अधिकतर मुहल्लों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगों की निर्भरता बाजार में बिकने वाली सीलबंद बोतलों और पानी के जार पर बढ़ने लगी है. संपन्न लोगों ने अपने घरों में आरो मशीन लगायी है लेकिन पानी में अत्यधिक कचरा आने से इसका मेंटेनेंस भी निर्धारित समय से पहले कराना पड़ता है. मेंटेनेंस महंगा होने के कारण चार-पांच माह बाद लोग इसका उपयोग करना ही बंद कर देते हैं. वहीं 30 रूपये प्रति जार के हिसाब से बिकने वाली पानी की डिमांड भी बढ़ी है. ऐसे में डेढ़ से दो हजार रूपए का अतिरिक्त खर्च एक सामान्य माध्यम वर्गीय परिवार के बजट परअच्छा खासा प्रभाव डाल रहा है.
– शहर के 10 से अधिक वार्डों में जलापूर्ति बाधित– शहर में लगे करीब 60 चापाकल हैं खराब– एक दिन में तीन से चार पानी का जार खरीद रहे लोग
– पीने के पानी के लिए रोजाना 100 रुपये तक का खर्चक्या कहती हैं डिप्टी मेयर
जिन जगहों पर आपूर्ति बाधित होने की सूचना मिल रही हैं वहां नगर निगम के द्वारा मेंटेनेंस कराया जा रहा है. खराब चापाकलों की लिस्ट सम्बंधित विभाग को पूर्व में ही दे दी गयी थी. उनको ठीक कराने का प्रयास किया जायेगा.
रागिनी देवी, डिप्टी मेयर, छपरा नगर निगमडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

