छपरा. रामनगर स्टेट का फर्जी डीड मामला अब एक गंभीर रूप लेता जा रहा है. पहले केवल कुछ अधिकारियों और कर्मियों तक सीमित यह मामला अब उन लोगों तक फैल चुका है जिन्होंने फर्जी डीड तैयार करने में मदद की थी. इसमें मुख्य रूप से वे लोग शामिल हैं जिन्होंने जमीन को बेचा और खरीदा, कागजात तैयार करने वाले कातिब और गवाह बने लोग भी शामिल हैं. रामनगर स्टेट की एक ही डीड संख्या के आधार पर अब तक 20 से अधिक दस्तावेज सामने आ चुके हैं. इसके बाद इन सभी संदिग्ध लोगों की सूची तैयार की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि इस घोटाले में कितने लोग शामिल हैं और उनका रोल क्या है.
तहकीकात और प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू
पहले तहकीकात की जायेगी कि किस व्यक्ति का रोल कितना संदेहास्पद है और उसके बाद प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की जायेगी. सूत्रों के अनुसार, जैसे ही फर्जी डीड तैयार करने की भनक इन लोगों को लगी, उनमें से कई लोग छपरा छोड़कर भाग गये हैं. खबरें हैं कि कुछ लोग गोरखपुर, बलिया और काठमांडू तक शरण लेने गये हैं. हालांकि, माना जा रहा है कि ये लोग ठंडा होने पर वापस लौटेंगे, क्योंकि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उनके द्वारा किये गये सारे काम सामने आ जायेंगे. इस घोटाले की जांच में सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब तक जितने भी कागजात प्राप्त हुए हैं, उनके आधार पर एडीएम कार्यालय ने उन सभी लोगों की सूची तैयार करना शुरू कर दी है, जो डीड तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल थे. सूत्रों के अनुसार, जांच के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या 25 से 30 तक हो सकती है. इसका मतलब यह है कि इतने लोग इस फर्जी डीड मामले में संलिप्त हो सकते हैं. यह भी स्पष्ट किया गया है कि एक डीड को तैयार करने में तीन से चार लोगों का सहयोग हो सकता है.डीड संख्या 9652 का रहस्य :
इस मामले की गहराई में जाकर जांच की जा रही है कि आखिरकार रामनगर स्टेट के डीड संख्या 9652 गायब क्यों हो गया, जबकि 9651, 9653 जैसे अन्य दस्तावेज मौजूद हैं. सवाल यह उठ रहा है कि 9652 से इतने अधिक डीड कैसे तैयार हो गये और इसके पीछे क्या खेल है? एडीएम कार्यालय इस बिंदु पर काम कर रहा है और जांच की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है.अंचल कार्यालय की रिपोर्ट :
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, छपरा सदर अंचल कार्यालय ने अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया है कि रामनगर स्टेट की जमीन का कब्जा 100 वर्षों से अधिक समय से है और जो डीड बाजार में आ रहे हैं वे संदेहास्पद हैं. अंचल कार्यालय ने पूरी 100 साल की स्थिति को अपनी रिपोर्ट में दर्ज किया है और अधिकारियों से अनुशंसा की गयी है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाये. यह रिपोर्ट इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि रामनगर स्टेट की जमीन पर जो भी डीड जारी किये जा रहे हैं, वे शायद फर्जी हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान, दिया था गहन जांच का आदेश
रामनगर स्टेट फर्जी डिड मामले में जिलाधिकारी ने खुद संज्ञान लिया था और इस मामले की गहन जांच का आदेश दिया था. प्रभात खबर की खबर पर एक विज्ञप्ति जारी करते हुए उन्होंने कहा था कि विभिन्न माध्यमों से जानकारी मिली है कि जिला निबंधन कार्यालय में 1960, 1961, 1962 जैसे कुछ वर्षों के दस्तावेज मिसिंग हैं. इन मिसिंग दस्तावेजों के आधार पर कुछ लोग फर्जी तरीके से जमीन की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. जिलाधिकारी ने अपर समाहर्ता मुकेश कुमार को इस मामले की गहनता से जांच करने का आदेश दिया था. उन्होंने अपनी विज्ञप्ति में यह भी स्पष्ट किया था कि अगर जांच के दौरान कोई भी कर्मचारी या अधिकारी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ तुरंत प्राथमिकी दर्ज की जायेगी और आगे की कार्रवाई की जायेगी. इसके अलावा, अगर इस मामले में भूमाफियाओं का भी नाम सामने आता है, तो वे भी जेल जायेंगे. जिलाधिकारी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जायेगी. रामनगर स्टेट के फर्जी डीड मामले में दिन-प्रतिदिन नयी जानकारियां सामने आ रही हैं. इसमें अधिकारी, कर्मी और बाहरी लोग सभी शामिल हैं और अब तक कई दस्तावेज सामने आ चुके हैं जो इस मामले को और गंभीर बना रहे हैं. एडीएम कार्यालय और अंचल कार्यालय द्वारा की जा रही जांच में कई अहम तथ्य सामने आ सकते हैं, जो इस घोटाले को पूरी तरह उजागर कर सकते हैं. फिलहाल, यह मामला सरकारी अधिकारियों के लिए एक चुनौती बन चुका है और यह देखना होगा कि इस मामले में किस तरह की कार्रवाई की जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

