पूसा . डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित ईंख अनुसंधान संस्थान के फॉर्म में मिल क्षेत्रों से गन्ना उत्पादकों के साथ एकल गांठ गन्ना के सीडलिंग पर प्रत्यक्षण किया गया. ईंख अनुसंधान संस्थान निदेशक डॉ. देवेंद्र सिंह के नेतृत्व में सतत विकास के पथ पर अग्रसर है. इस दौरान संस्थान के वैज्ञानिक सह विभागाध्यक्ष डॉ. बलवंत कुमार ने गन्ने के साथ भिन्न-भिन्न प्रभेदों के फसलों की अंतर्वर्ती खेती को किसानों के लिए लाभकारी बताया है. डॉ. कुमार ने बताया कि गन्ना के बेहतर उत्पादन शारदकालीन एवं बसंतकालीन में ज्यादातर किया जाता है. अंतर्वर्ती खेती के लिए शारदकालीन गन्ना की खेती से किसान बेहतर आय प्राप्त कर सकते हैं. अंतर्वर्ती फसल मुख्य रूप से हसनपुर क्षेत्रों में हजारों एकड़ में विवि के संस्थान से नवीनतम प्रभेदों के बीज लेकर किया जाता है. इसमें ज्यादा किसान गन्ने के साथ मूली, धनिया एवं आलू की खेती की जा रही है. मोहिद्दीननगर में एकल गांठ की खेती विस्तार रूप से की जाती है. शारदकालीन में राजेंद्र गन्ना-1 की खेती बेहतर उत्पादन देने में सक्षम है. सतमलपुर के किसान अनिल कुमार ने भी वैज्ञानिक विधि से अंतर्वर्ती फसलों खेती कर नजीर पेश किया है. इनके खेती से हजारों किसान तकनीकी ज्ञानवर्धन कर बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं. बिहार में ईंख अनुसंधान संस्थान के सहयोग से हरित क्रांति के बाद अब मीठी क्रांति का भी आगाज हो चुका है. हसनपुर शुगर मिल क्षेत्र के गन्ना उत्पादक संजीव कुमार, मिथलेश कुमार तथा संजय झा ने विवि के संस्थान से एकल गांठ लेकर रोपाई करते हैं. फिलवक्त गन्ने की 16 प्रभेदों पर सब्सिडी दी जा रही है. बिहार सरकार की ओर से गन्ने की एकल गांठ की खेती पर 15 हजार ऑनस्पॉट 15 हजार अनुदान भी दे रही है. जो गन्ना उत्पादकों के खाते में सीधे भेज दी जाती है. मौके पर संस्थान से जुड़े वैज्ञानिक आदि मौजूद थे.
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