पूसा . कृषि में डेटा क्रांति : 2047 तक विकसित भारत के लिए नवीन सांख्यिकीय और कम्प्युटेशनल विधियां विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति डा पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय ने कहा कि कृषि क्षेत्र में दो बुनियादी प्रकार के तकनीकी परिवर्तन हैं. जिसमें मानव-आधारित और मशीन-आधारित तकनीक शामिल हैं. इसके अलावा तकनीकी परिवर्तन ने फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बीज की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया है. तकनीकी परिवर्तन ने कृषि विकास के पौध संरक्षण और मशीनीकरण प्रकारों पर ध्यान केंद्रित किया है. बड़ा डेटा किसानों को वर्षा के पैटर्न, जल चक्र, उर्वरक आवश्यकताओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है. इससे उन्हें स्मार्ट निर्णय लेने में मदद मिलती है. कुलपति ने कहा कि भारत ने पारंपरिक प्रजनन और आणविक तकनीकों का उपयोग करके बाजरे की कई उच्च उपज देने वाली और जलवायु-प्रतिरोधी किस्में विकसित की है. भारत ने बाजरे के बीजों के अंकुरण, उभरने, एकरूपता और सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्राइमिंग और फिल्म कोटिंग तकनीक भी शुरू की है. सत्र के दौरान ही कृषि स्मारिका का भी विमोचन किया गया.
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