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Samastipur News:सफदर की हत्या कर दी गई, मगर उनके विचारों की हत्या करना असंभव

जनवादी लेखक संघ के द्वारा रंगकर्मी सफदर हाशमी की जयंती राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक दिवस के रूप में मनायी गयी.

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Samastipur News:समस्तीपुर : जनवादी लेखक संघ के द्वारा रंगकर्मी सफदर हाशमी की जयंती राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक दिवस के रूप में मनायी गयी. इस मौके पर जनवादी लेखक संघ और जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा की जिला इकाई की ओर से स्टेशन रोड स्थित शहीद उदय शंकर स्मारक भवन में एक विचार-गोष्ठी आयोजित की गयी. जनवादी लेखक संघ के जिला अध्यक्ष शाह ज़फ़र इमाम और जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा के जिला अध्यक्ष रामविलास सहनी ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की. सर्वप्रथम सफदर हाशमी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. सांस्कृतिक मोर्चा की ओर से राम प्रवश चौरसिया ,रामप्रीत सहनी तथा नरेन्द्र कुमार टुनटुन ने इन्कलाबी गीत पेश किये. जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा के जिला सचिव चन्देश्वर राय के संचालन में हुई विचार गोष्ठी में स्वागत भाषण शंभू शरण यादव ने दिया. जनवादी लेखक संघ के कार्यकारी जिला सचिव डॉ. अरुण अभिषेक ने विषय प्रवेश कराते हुए कार्यक्रम की महत्ता पर प्रकाश डाला. जन संस्कृति मंच के जिला अध्यक्ष एवं समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर के पूर्व अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बातें रखीं.

राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक दिवस के रूप में मनी रंगकर्मी सफदर हाशमी की जयंती

सफदर हाशमी के जीवन और एक रंगकर्मी के रूप में उनकी भूमिका की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि सफदर की हत्या कर दी गई, मगर उनके विचारों की हत्या करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई में नुक्कड़ नाटक एक धारदार वैचारिक हथियार के रूप में एक अहम भूमिका अदा करता है. विचार गोष्ठी में पूर्व प्रधानाध्यापक राज कुमार राय राजेश,एटक नेता सुधीर कुमार देव, पूर्व बैंक अधिकारी चन्देश्वर राय,जन संस्कृति मंच के अरविंद आनंद, शायर कासिम सबा, मो.अयूब, युवा नेता महेश कुमार सहित कई वक्ताओं ने अपने -अपने विचार व्यक्त किये. अपने अध्यक्षीय भाषण में शाह ज़फ़र इमाम ने कहा कि कि देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक अंधविश्वास, सामाजिक विषमता तथा आर्थिक विषमता के खिलाफ नुक्कड़ नाटकों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. एक लेखक, रंगकर्मी, निर्देशक एवं संगठनकर्ता के रूप में सफदर हाशमी ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया. इसी वजह से सफदर हाशमी को अपनी शहादत देनी पड़ी. उनकी शहादत से सीख लेकर उनके नक्शे कदम पर चलने वाले हजारों लेखक कलाकार आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है. कार्यक्रम में रामाश्रय महतो, रघुनाथ राय,आनंदी राय, सत्य नारायण सिंह,हरे कृष्ण रजक , बलवंत प्रसाद,रवि कुमार, डॉ. राम सूरत प्रियदर्शी,राम स्वरूप महतो, सुरेश राम,शमशाद आलम, गंगाधर झा,राम सागर पासवान,राम प्रकाश यादव एवं बिगन पटेल सहित बड़ी संख्या में लेखक, संस्कृति कर्मी एवं बुद्धिजीवी शामिल थे.

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