सरायरंजन. भगवान का अक्षरावतार है श्री रामचरितमानस. यह बात अखिल भारतीय रामचरितमानस प्रचार महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ आचार्य सत्यनारायण मिश्र ने कही. वे खालिसपुर गांधी चौक दुर्गा मंदिर प्रांगण में रुद्र महायज्ञ के अवसर पर आयोजित महासंघ के 53 अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे. आचार्य मिश्रा ने स्पष्ट कहा कि भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं सभी अखिल ब्रह्मांड एवं मानवता की रक्षा के लिए हुए हैं. भगवान श्रीराम ने संपूर्ण संसार की रक्षा के लिए भगवान हनुमान व तुलसी दास के माध्यम से श्री रामचरितमानस के रूप में जन-जन के कल्याण के लिए अक्षरावतार लिया है. रामचरितमानस के दोहों और चौपाइयों में संपूर्ण संसार का ज्ञान समाया हुआ है. इसमें वर्णित चरित्र को जीवन में उतारकर मनुष्य जहां अपने त्रिविध ताप को दूर कर सकता है, वहीं रामचरितमानस से संसार की सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है. 17 नवंबर तक चलने वाले प्रांतीय सम्मेलन में मानस प्रवक्ता आये हैं. प्रथम सत्र में रुद्र महायज्ञ, शिव महापुराण, सुंदर काण्ड, हनुमान चालीसा व रामचरितमानस का पाठ एवं द्वितीय सत्र में प्रवचन, कीर्तन एवं भक्ति-संगीत से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो रहा है. दूसरे दिन के सम्मेलन को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित हरिकांत झा, प्रांतीय महामंत्री प्रद्युम्न प्रसाद सिंह, डॉ अरुण कुमार झा, डॉ. अवधेश कुमार झा, इंद्रकांत झा, रामनारायण सिंह, लक्ष्मी शरण महाराज, नागेंद्र ठाकुर, मनोज कुमार झा, कृष्ण कुमार झा, कुमारी रागनी, वासुदेव शुक्ल, लव कुश दास, मनोहर दास आदि ने संबोधित किया.
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