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Samastipur News:शैक्षणिक गतिविधियों की जगह अनुशासनहीनता गूंज रही स्कूलों में

जिला शिक्षा कार्यालय व प्रखंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी इनदिनों शैक्षणिक गतिविधियों की माॅनिटरिंग करने की जगह विभाग से जुड़े कार्यों व योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे हैं.

Samastipur News:समस्तीपुर : जिला शिक्षा कार्यालय व प्रखंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी इनदिनों शैक्षणिक गतिविधियों की माॅनिटरिंग करने की जगह विभाग से जुड़े कार्यों व योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे हैं. इधर, कुछेक को छोड़कर अधिकांश उत्क्रमित/माध्यमिक व उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियों के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. छात्र-छात्राओं की उपस्थिति किसी से छिपी नहीं है. शिक्षक के साथ-साथ छात्र भी शैक्षणिक वातावरण तैयार करने की जगह शिक्षा के मंदिर में अनुशासनहीनता की नई मिसाल कायम कर रहे हैं. छात्रों को शिक्षित करना अपने आप में कला है जिसमें धैर्य का होना एक महत्वपूर्ण गुण है. विद्यालय में शारीरिक दंड एवं डांट आदि पर प्रतिबंध लगने के बाद अनुशासनहीनता की कुछ गतिविधियां बढ़ी है. लेकिन यह भी वहीं बढ़ी है जहां पर अनुशासन की समझ नहीं है. परंतु महत्वपूर्ण बात यह है की दंड एवं डांट पर प्रतिबंध लगने के बाद बच्चे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने लगे हैं, बच्चों पर जो मानसिक डर था वो डर कम हुआ है. बच्चे दंड एवं डांट के कारण कभी-कभी सही कार्य को भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते थे. लेकिन यह डर कम होने के कारण वे खुलकर किसी कार्य को कर देते हैं. आरटीई (शिक्षा का अधिकार) एक्ट, 2009 की धारा 17 के अनुसार बच्चों के साथ मारपीट या मानसिक प्रताड़ना देना पूरी तरह से प्रतिबंधित है और यह एक गंभीर अपराध है. बावजूद उच्च माध्यमिक विद्यालय हरपुर सिंघिया जगतसिंहपुर के एचएम डा. संजय प्रसाद द्वारा छात्रों की छड़ी से पिटाई की गई. इसका खुलासा बीईओ द्वारा किये गये निरीक्षण में भी हुआ है. साथ ही कुछ छात्रों द्वारा बताया गया कि एचएम जातिसूचक शब्दों व अपशब्द का भी प्रयोग करते हैं. फिलहाल बीईओ ने स्पष्टीकरण पूछा है कार्रवाई क्या होती है वह अगले कुछ दिनों में पता चलेगा. इससे इतर एसएस उच्च विद्यालय सखवा में एक छात्र द्वारा एचएम की बेल्ट से पिटाई की जाती है. शिक्षिका के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए जान से मारने की धमकी दी जाती है. अनुशासनहीनता को अच्छी शिक्षा व उचित वातावरण देकर नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि विद्यार्थी उज्जल भविष्य की ओर अग्रसित हो सकें लेकिन यहां तो एचएम व शिक्षक खुद स्कूल में भय का माहौल बना चुप्पी साध लेते हैं. मामला छात्रधारी इंटर विद्यालय का हो या रामाज्ञा उमावि चैता का शिक्षक व एचएम खुद अपने कार्यकलापों के कारण सुर्खियों में है. सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए, अनुशासन सहित कई कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है लेकिन इसके लिए सतत माॅनिटरिंग करने की जरूरत है.

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