समस्तीपुर : शिक्षा विभाग ने राजकीय, राजकीयकृत (प्रोजेक्ट व उत्क्रमित सहित), मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक उच्च माध्यमिक विद्यालय में विभिन्न मदों में व्यय करने की प्राचार्य व हेडमास्टरों की शक्तियां बढ़ा दी है. अब इन कोटि के विद्यालय भवन के रख-रखाव, रंग-रोगन, विद्यालय परिसर, शौचालय आदि की सफाई व पेयजल सुविधा में पहले से अधिक राशि खर्च कर सकेंगे. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि माध्यमिक-उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक-प्राचार्य के ढाई लाख रुपये व इसकी विद्यालय प्रबंध समिति के पांच लाख रुपये तक विद्यालय कोष से निकासी करने और खर्च करने की शक्ति फिर बहाल कर दी गई है. इस संबंध में शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने आदेश जारी किया है. विभाग ने जारी आदेश में कहा है कि उक्त व्यवस्था को वर्ष 2023 में बंद कर दिया गया था, जिसे अब पुन: बहाल कर दिया गया है. विभाग ने कहा है कि विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष सामान्यत: विधायक होते हैं. पांच लाख से अधिक कार्य विद्यालय प्रबंध समिति की अनुशंसा पर बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना निगम की ओर से किया जायेगा. पूर्व में प्रत्यायोजित शक्ति के अनुसार 500 छात्र-छात्राओं की संख्या वाले स्कूलों के हेडमास्टर को एक साल में 50 हजार रुपये, 500 से 750 संख्या वाले स्कूलों को 75 हजार और 750 से अधिक विद्यार्थियों वाले स्कूलों को एक लाख खर्च करने का अधिकार था. साथ ही व्यय की गई राशि का विद्यालय प्रबंध समिति की शैक्षिक सत्र के अंतिम बैठक में संपुष्टि को उपस्थापित किया जाता था. संशोधित प्रत्यायोजित शक्ति में व्यय की शक्तियां विद्यार्थियों की क्षमता के मुताबिक बढ़ा दी गई हैं. इससे संबंधित कोटि के विद्यालयों के प्रधानाचार्य व शिक्षकों ने खुशी है.
प्रबंध समिति की अनुशंसा पर पहले एक लाख तक करना था खर्च
पुराने नियम के मुताबिक विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक की अनुशंसा पर हेडमास्टराें को एक लाख रुपये खर्च करने का प्रावधान था. लेकिन अब प्रबंध समिति की बैठक की अनुशंसा पर पांच लाख खर्च किये जा सकेंगे. पांच लाख से अधिक का कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिडेट पटना से प्राक्कलन तैयार कराकर इसी संस्थान के माध्यम से किया जायेगा. शिक्षा विभाग के इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानाध्यापकों ने कहा कि इससे माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों में काफी खुशी है. अब विद्यालयों में छोटी-छोटी जरूरतों को आसानी से दूर किया जा सकता है. कहा कि अब विद्यालय कोष में संचित राशि का समय पर विद्यालय के विकास में सदुपयोग होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है