सहरसा. अखिल भारतीय मध्य देशीय वैश्य समाज द्वारा लोक देवता बाबा गणिनाथ गोविंद की 93वीं जयंती समारोह 22 व 23 अगस्त को धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनायी जायेगी. दो दिवसीय इस धार्मिक समारोह में कोसी क्षेत्र के विभिन्न गांवों से हजारों की संख्या में मध्य देशीय वैश्य समाज के लोग व श्रद्धालु शामिल होंगे. अखिल भारतीय मध्य देशीय वैश्य सभा जिलाध्यक्ष रामकृष्ण साह उर्फ मोहन साह ने बताया कि समारोह का शुभारंभ 22 अगस्त को होगा. इस दिन सुपर बाजार स्थित कला भवन से एक भव्य शोभा यात्रा निकलेगी. शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए श्रद्धालुओं व वाहनों के विशाल काफिले के साथ कहरा प्रखंड के बलहाडीह स्थित गणिनाथ गोविंद धाम पहुंचेगी. जहां यह एक धर्मसभा में तब्दील हो जायेगी. धर्मसभा के बाद बाबा के जीवन व आदर्शों पर आधारित 24 घंटे का अखंड जागरण, भजन-कीर्तन, प्रवचन व अनुष्ठान का आयोजन होगा. दूसरे दिन 23 अगस्त को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन, संध्या वंदना व विशेष पूजा-अर्चना के साथ दो दिवसीय समारोह संपन्न होगा. इस अवसर पर भक्तों के लिए भोजन महाप्रसाद की भी भव्य व्यवस्था की गयी है. समारोह की सफलता को लेकर गणिनाथ गोविंद धाम के सभी सक्रिय सदस्य व श्रद्धालु दिन-रात तैयारियों में जुटे हैं. अखिल भारतीय मध्य देशीय वैश्य सभा के जिलाध्यक्ष रामकृष्ण साह उर्फ मोहन साह ने बताया कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री श्री 108 बाबा गणिनाथ गोविंद जयंती धूमधाम एवं आस्था के साथ मनायी जा रही है. समाज के लोग एवं युवा कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर भक्तों को आमंत्रित कर रहे हैं. समिति के प्रमुख सदस्य संजय कुमार, संतोष कुमार लड्डू, कैलाश साह, अजीत कुमार अजय, सुनील मित्रा, दीपक साह, सुरेश साह, राजकुमार गुप्ता, हरेराम साह, भूपि साह, शंकर साह, कृष्ण मोहन साह, नरेश साह, मनोज मिलन, सुनील गुप्ता, बृजमोहन साह सहित जिलेभर के सभी प्रखंडों के कार्यकर्ता सक्रिय रूप से लगे हैं. बलहाडीह मंदिर टोला स्थित बाबा गणिनाथ गोविंद धाम पर भव्य संगमरमर से निर्मित मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है. श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर पूर्ण होने के बाद यह स्थल पूरे कोसी क्षेत्र का एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बनेगा. जिलाध्यक्ष ने बताया कि लगभग एक सौ वर्ष पूर्व वैशाली जिले के महनार स्थित गंगा तट पर पलवैया में बाबा गणिनाथ का भव्य मंदिर था. गंगा नदी के कटाव में मंदिर डूबने लगा तो लगभग 15 दिन पूर्व बलहाडीह निवासी झिंगुर दास के सपने में बाबा पुष्पक विमान से प्रकट हुए एवं बलहाडीह में प्रवास करने की इच्छा व्यक्त की. उसी दिन से भुवनेश्वर दास की भूमि पर नया मंदिर स्थापित कर पूजा-अर्चना, प्रवचन एवं अनुष्ठान की परंपरा शुरू हुई जो आज भी निरंतर जारी है. इस मंदिर की धार्मिक मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मांगते हैं, उसकी मुराद पूरी होती है. अब यह 93वीं जयंती समारोह बाबा गणिनाथ गोविंद की आस्था, संस्कृति एवं सामाजिक एकता का विशाल प्रतीक बनने जा रहा है.
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